देसी विदेशी उत्पादन इकाइयों में भेद कीजिए का उत्तर हिन्दी में
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आज जब रूपया लगातार गिरता जा रहा है यह सवाल हर देशवासी को भी खुद से करना जरूरी है कि हम क्या कर सकते है क्या सरकार की अकर्मण्यता का रोना रोने से हमारा दायित्व समाप्त हो जाता है? हमको भी सोचना चाहिए अपने कर्तव्यों को, बूँद बूँद से सागर बनता है
[१] सबसे पहले पेट्रोल की खपत कम करने में हमें अपना योगदान देना बहुत जरूरी है मैं मानता हूँ कि मनमोहन सिंह या वीरप्पा मोइली की असरकारक नहीं है क्योंकि वो खुद कोई उदहारण नहीं बन प् रहे अन्यथा जब लालबहादुर शास्त्री ने सोमवार के उपवास का आह्वान किया था तब पहले स्वयं और अपने परिवार से शुरुआत की थी. आज शास्त्री जैसा नेता नहीं है तो क्या हुआ? हम तो शुरुआत कर सकते है पहल करने से बहुत कुछ हो सकता है
[२] सोना हमारी कमजोरी रही है सोने के प्रति अपनी जो प्रवृत्ति रही है उसे बदलना होगा।
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