Hindi, asked by adarsh2710, 1 year ago

दो स्वचरित्र कविता लिखिए।​

Answers

Answered by siddhi12314
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Explanation:

काश दुनिया भी कभी ऐसी होती…..

काश दुनिया भी कभी ऐसी होती..

जहाँ रिश्तो में सिर्फ प्यार ही प्यार होता,

जहाँ बनावट के चेहरे न होते,

जहाँ दिल में एक दूजे के लिए नफ़रत न होती।

काश दुनिया भी कभी ऐसी होती..

जहाँ हर जुबान पे सिर्फ मिठास होती,

जहाँ आँखों में सपने तो सपनो में एक जुनून होता,

जहाँ नफरत से दोस्ती और दोस्ती से प्यार होता।

काश दुनिया भी कभी ऐसी होती..

जहाँ हौंसले आसमान से भी ऊँचे होते,

जहाँ एक उम्मीद जीने का सहारा बन जाती,

जहाँ किसी अपने का थोड़ा सा साथ जिंदगी की ढाल बन जाती।

काश दुनिया भी कभी ऐसी होती…

जहाँ एक मुस्कान खुशियाँ बिखेर देती,

जहाँ एक माफ़ी , रिश्ते फिर पहले जैसे कर देती,

जहाँ आंसू दिल की सारी नफरत खत्म कर देते।

काश दुनिया भी कभी ऐसी होती…

जहाँ एक दूजे की सफलता देख , दिल में जलन न होती,

जहाँ माँ –बाप की सेवा से बढ़कर और कोई खुदाई न होती,

जहाँ दिल से जुड़े बंधनो की कभी जुदाई न होती।

काश दुनिया भी कभी ऐसी होती…

जहाँ जिद होती कुछ कर गुजरने की,

जहाँ समझ होती हर बात संभालने की,

जहाँ दौर होती हर खुशियाँ बांटने की।

काश दुनिया भी कभी ऐसी होती…

जहाँ हर दुआ मरहम का काम कर जाती,

जहाँ हर रहम किसी की जिंदगी सँवार जाती,

जहाँ हर बात बिगड़कर फिर बन जाती।

काश दुनिया भी कभी ऐसी होती…

जहाँ बाजारों में खुशियों की बिक्री होती,

जहाँ व्यापार में दुःख की नीलामी होती,

जहाँ शादी में दो दिलो की साझेदारी होती।

काश दुनिया भी कभी ऐसी होती…

जहाँ होली का रंग सबको एक रंग में रंग देता,

जहाँ दिवाली का दिया हर अँधेरे से जंग कर लेता,

जहाँ सावन की एक बौछार सबको एक संग कर देती।

काश दुनिया भी कभी ऐसी होती…

जहाँ शोर होता किसी की भलाई करने का,

जहाँ जोर होता किसी की बुराई रोकने का,

जहाँ गौर होता किसी की खूबी पहचानने का।

काश दुनिया भी कभी ऐसी होती…

जहाँ नाम कमाने का कोई बोझ न होता,

जहाँ बेटी को जन्म देने पर कोई दोष न होता,

जहाँ अपनों को खोने का कोई डर न होता।

काश दुनिया भी कभी ऐसी होती…

जहाँ किसी की मज़बूरी दाँव पर न लगती,

जहाँ किसी की ख़ामोशी दिल को न चुभती,

जहाँ किसी की आजादी पाँव की बेड़िया न बनती।

काश दुनिया भी कही ऐसी होती…

जहाँ किसी मजहब का अपमान न होता,

जहाँ जाति-जाति में भेदभाव न होता,

जहाँ रब ,खुदा और भगवान एक समान माने जाते।

काश दुनिया भी कभी ऐसी होती…

जहाँ बड़ो का आदेश सर आँखों पर होता,

जहाँ हर शिष्य एकलव्य जैसा होता,

जहाँ अमीर, गरीब और गरीब अमीर होता।

काश दुनिया भी कभी ऐसी होती…

जहाँ हर दिल की ख्वाहिश पूरी हो जाती,

जहाँ हर दुआ कुबूल हो जाती,

जहाँ हर जिंदगी जीने का हक़ पा पाती।

काश……. काश ………. काश…

NAME- GUPTA POOJA NANDLAL

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