देशी बैंकर से आप क्या समज़ते है? इनके तीन कार्य लिखिए।
Answers
Explanation:
देशी बैंकर्स के कार्य (Functions of Indigenous Bankers):
देशी बैंकर्स केवल बैंकिंग व्यवसाय नहीं करते हैं, इसलिए इनके कार्यों को दो श्रेणियों में बाँटा जा सकता है:
(A) बैंकिंग व्यवसाय से सम्बन्धित कार्य एवं
(A) बैंकिंग व्यवसाय से सम्बन्धित कार्य (Banking Functions):
(i) जमा स्वीकार करना (Accepting of Deposits):
देशी बैंकर्स जनता से जमा पर रुपया प्राप्त करते हैं । जमा पर प्राप्त की गई रकम भी दो प्रकार की होती है एक तो वह जो माँगने पर तुरन्त दे दी जाती है (Payable on Demand) तथा दूसरी वह जिसका भुगतान निश्चित समय के बाद किया जाता है ।(Payable after Fixed Period) देशी बैंकर्स जमा आकर्षित करने के लिए अधिक ब्याज देते है । साधारणतः इनके ब्याज देने की दर 6 से 7 प्रतिशत तक होती है । बम्बई व अहमदाबाद के कुछ देशी बैंकर्स ने चैक प्रथा का प्रयोग किया है, जिसके अनुसार ग्राहक अपनी रकम चैक द्वारा भी निकाल सकता है । परन्तु देश के सभी भागों में चैक का प्रयोग नहीं किया जाता है ।
(ii) ऋण देना (Granting of Loans):
देशी बैंकर्स का मुख्य कार्य ऋण देना है । ये थोड़े समय के लिए भी ऋण देते हैं और लम्बी अवधि के लिए भी ऋण देते हैं । ये हर प्रकार की जमानत पर रकम उधार दे देते हैं । ये जमानत के रूप में चल (Floating) एवं अचल (Fixed) दोनों प्रकार की सम्पत्तियों को स्वीकार कर लेते हैं ।
यहाँ तक देखा गया है कि ये ग्राहकों की व्यक्तिगत साख (Personal Credit) पर भी ऋण देते हैं । इनके ब्याज लेने की दर हमेशा भिन्न होती है । यदि जमानत अच्छी है या उधार लेने वाले की साख अच्छी है तो वे 6 प्रतिशत से 18 प्रतिशत की दर पर ही रकम उधार देते हैं ।परन्तु पर्याप्त जमानत न मिलने पर उनके ब्याज की दर 44 प्रतिशत तक होती है । देशी बैंकर्स ग्राहकों की व्यक्तिगत साख पर इसलिए ऋण दे सकते हैं, क्योंकि उन्हें ग्राहकों की आर्थिक स्थिति व ईमानदारी का पूर्ण ज्ञान रहता है ।
देशी बैंकर्स व्यापारियों, उद्योगपतियों, कृषकों एवं कारीगरों को रुपया उधार देते हैं । किसान को उनकी तैयार फसल पर और कारीगरों को इस वायदे पर ऋण देते हैं कि ये लोग माल तैयार होने पर उन्हीं के द्वारा माल बेचेंगे । चूँकि देशी बैंकर्स आढ़तिये का कार्य भी करते है, इसलिए तैयार किये गये माल बेचकर मुनाफा कमा लेते हैं । इस प्रकार से देशी बैंकर्स ग्रामीण क्षेत्रों की 80 प्रतिशत आवश्यकता की पूर्ति कर देते है ।
देशी बैंकर्स बड़े उद्योगों को भी ऋण देते हैं । ऐसे ऋणों की अवधि 5 वर्ष से 7 वर्ष तक की होती है । यह प्रथा बम्बई, इन्दौर व अहमदाबाद में बहुत प्रचलित है । परन्तु बड़े उद्योगों के अर्थ प्रबन्ध में इनका विशेष महत्व नहीं है । देशी बैंकर्स गोदामों में रखे हुए माल की जमानत पर कर्ज नहीं देते हैं ।
(iii) हुंडियों का व्यवसाय करना (Dealing in Hundies):
देशी बैंकर्स हुण्डी का बहुत व्यापार करते हैं, क्योंकि हमारे देश में व्यापार के सम्बन्ध में हुण्डियों का बहुत चलन है । ये जब ग्राहकों से रुपया उधार लेते हैं तो हुण्डी लिखकर दे देते हैं । वे अन्य व्यापारियों की हुण्डियों की कटौती (Discounting) भी करते है अर्थात समय से पूर्व मुद्दती हुण्डियों का भुगतान करते हैं ।