एक उपभोक्ता के रूप में आपके क्या क्या कर्त्तव्य है? किन्ही चार का उल्लेख कीजिये।
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उपभोक्ता (कंज्यूमर) उस व्यक्ति को कहते हैं, जो विभिन्न वस्तुओं एवं सेवाओं का या तो उपभोग करता है अथवा उनको उपयोग में लाता है। वस्तुओं में उपभोक्ता वस्तुएं (जैसे गेहूं, आटा, नमक, चीनी, फल आदि) एवं स्थायी वस्तुएं (जैसे टेलीविजन, रेफरीजरेटर, टोस्टर, मिक्सर, साइकिल आदि)जूडे हुए है। जिन सेवाओं का हम क्रय करते हैं, उनमें बिजली, टेलीफोन, परिवहन सेवाएं, थियेटर सेवाएं आदि सम्मिलित है।
ध्यान रखने योग्य बात है कि उपभोक्ता वह है, जो उपभोग के लिए वस्तुओं एवं सेवाओं का क्रय करता है। यदि कोई फुटकर व्यापारी किसी थोक विक्रेता से वस्तुएं (जैसे,स्टेशनरी का सामान) खरीदता है, तो वह उपभोक्ता नहीं है,क्योंकि वह तो वस्तुओं का क्रय पुनः विक्रय के लिए कर रहा है।
एक उपभोक्ता होने के रूप में हमारे कई तरह के कर्तव्य हैं। इनमें जो मुख्य कर्तव्य हैं वो निम्नलिखित हैं:-
1. एक उपभोक्ता होने के नाते यह सबसे जरूरी और अहम बात है कि हम जागरूक हों। और ना केवल खुद जागरूक उपभोक्ता बनें बल्कि दूसरों को भी जागरूक करें।
2. जब भी किसी वस्तु की खरीदारी करनी हो तो उसे किसी भी पंजीकृत दुकान से ही खरीदें। इधर उधर कहीं दुकान से लेने पर समान नकली हो सकता है।
3. जब भी हम कोई समान लें तो दुकानदार से उस वस्तु की पक्की रशीद की मांग जरूर करें जिसमें दिनांक, वस्तु का नाम, उसकी कीमत आदि अंकित हो।
4. अगर कोई दुकानदार हमें गलत समान दे रहा है या वह कर चोरी कर रहा है तो उसकी सूचना हम संबंधित विभाग को दें।