Hindi, asked by rimfg5978, 1 year ago

दिशाहीन युवावरग पर निबंध

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Answered by gyanankurbaruah84
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दिशाहीन युवा

हमारे देश में बहुत बड़ी आबादी युवा है, लेकिन बहुत सारे नौजवानों की उद्दंडता बढ़ती जा रही है। सोशल मीडिया में किसी भी प्रतिष्ठित व्यक्ति की पोस्ट पर गालियां दे देना उनके लिए आम बात है। गाड़ी चलाते समय छोटी-छोटी बातों के लिए झगड़ा हो जाता है। एक दुखद घटना नोएडा-63 के एक गांव की है। एक लड़की छिजारसी से विजय नगर पढ़ने जाती थी। इस बीच रास्ते में तीन युवक उसके साथ छेड़खानी करते थे। थाने में शिकायत करने के बाद भी कुछ कार्रवाई नहीं हुई, तो उसने खुदकुशी कर ली। उस लड़की का जीवन तो समाप्त हुआ ही, उन तीनों लड़कों का जीवन भी बर्बाद हो गया। वे अब जेल की हवा खाने को मजबूर हैं। युवाओं की एक बड़ी आबादी आज दिशाहीन है। यदि समय रहते इन्हें सही राह नहीं दिखाई गई, तो सबसे युवा आबादी वाला देश कहते समय हमें गर्व की अनुभूति नहीं होगी, बल्कि हम शर्मिंदगी महसूस करेंगे।

दीपक कुमार, हसुआ, सीवान

देशद्रोही कौन

आज हमारे देश में देशद्रोह की परिभाषा बदलती जा रही है। इसीलिए महाराष्ट्र सरकार ने पिछले दिनों सावधान कर दिया था कि किसी नेता या सरकार के विरुद्ध कुछ बोला, तो देशद्रोही की श्रेणी में आ सकते हो। और ऐसे लोगों पर देशद्रोह का मुकदमा चल सकता है। क्या इसी को प्रजातंत्र कहते हैं? जनमानस की आवाज उठाने वाले और नेताओं व सरकार के काले कारनामों की पोल खोलने वाले यदि देशद्रोही हैं, तो देशभक्त कौन है? क्या शिवसेना के वे लोग, जो बीसीसीआई प्रमुख शशांक मनोहर को धमकाने गए थे? ऐसे लोगों को मीडिया न सैनिक कहे, न शिव सैनिक, क्योंकि इससे भगवान शिवशंकर और सैनिकों, दोनों का ही अपमान होता है। इनको केवल ठाकरे के लोग कहना उचित होगा।

यश वीर आर्य

दिल्ली में बढ़ते अपराध

दिल्ली को औरतों के लिए सुरक्षित बनाने की बात की जाती है, परंतु पुरुष भी कौन-सा यहां सुरक्षित हैं? उत्तर-पूर्वी दिल्ली की एक घटना में दो युवकों ने अंधेरी सड़क का फायदा उठाकर काम से लौट रहे एक युवक को लूटने के इरादे से उसके साथ मारपीट की और उसका फोन ले भागे। यह सब एक अन्य व्यक्ति ने देखा और वह उन पैदल लुटेरों के पीछे भागा, उन गुंडों ने उस व्यक्ति के साथ भी मारपीट की, परंतु उसने अपनी बहादुरी से उनमें से एक लुटेरे को पकड़ लिया, जबकि दूसरा भाग निकला। उसने तुरंत पुलिस को फोन किया, उधर दूसरे चोर ने पकड़े जाने के भय से छीना गया मोबाइल अन्य दो लड़को को थमा यह कहकर चला गया कि यह पास के चाय वाले का फोन है, मैं बाद में आपसे ले जाऊंगा। इन सबके बीच जिस युवक के साथ घटना घटी थी, उसने भी पुलिस को बुला लिया, जो एक चोर पकड़ा गया था, वह अपना जुर्म कबूल नहीं कर रहा था और इन सबके बीच वे स्थानीय लड़के भी आ गए, जिन्हें वह फोन मिला था। जनता की सूझबूझ, बहादुरी और फुर्ती के कारण उस युवक का फोन मिल गया। जब तक हम खुद जागरूक नहीं होंगे, तब तक लुटेरों का और इस तरह की घटनाओं का अंत नहीं किया जा सकता। केंद्र और दिल्ली की सरकारें अपराध मुक्त राजधानी बनाने के कितने भी दावे करें, ऐसी घटनाएं उनकी कलई खोल देती हैं। दिल्ली के नागरिकों को ही अब अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी और लुटेरों को परास्त करना होगा।

प्राची टंडन, दिल्ली.

Answered by tushargupta0691
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Answer:

आज भारत दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देशों में से एक है, जिसमें से अधिकांश आबादी युवा है। भारत में युवा प्रतिशत 50% से अधिक है, युवा प्रचुर मात्रा में ऊर्जा, साहस, रोमांच की भावना, कल्पना, आशा और महत्वाकांक्षा से भरे हुए हैं।  वास्तव में युवा भारत का भविष्य है। हमारे देश में, बच्चों को उनके माता-पिता और बड़ों ने बचपन से ही हमेशा अच्छे अंक लाने और जीवन में प्रतिस्पर्धी और व्यावहारिक बनने के लिए सिखाया, इसके बजाय उन्हें दया, वफादारी, विनम्रता, दूसरों की मदद करने आदि के बारे में जीवन का पाठ पढ़ाया जाता था। स्कूलों में, वे बस दीवारों के बीच बंध गए और फंस गए जो उन्हें पढ़ना सिखाते हैं क्योंकि यह जो कुछ भी किताब में लिखा है, उन्हें इस बारे में कोई व्यावहारिक ज्ञान नहीं है कि कैसे दुनिया कैसे काम करती है, कैसे व्यवहार करें, जीवन की कठिन परिस्थितियों में कैसे प्रतिक्रिया दें, अवांछित समस्याओं से कैसे छुटकारा पाएं। उनके पास जीवन में दिशा नहीं है, वे भेड़ों के झुंड की तरह आँख बंद करके एक दूसरे का अनुसरण कर रहे हैं। अधिकांश युवाओं को इस बात की जानकारी नहीं है कि क्या सही है और क्या गलत है, वे उस उम्र में हैं जहां उनकी चरम भावनाएं उन्हें पूरी तरह से अलग व्यक्तियों में बदल सकती हैं। वे साथियों के दबाव के कारण बहुत कम उम्र में ड्रग्स लेना शुरू कर देते हैं और फिर समय बीतने के साथ नशे के आदी हो जाते हैं।

एक बिंदु पर पहुंचने के बाद जब वे पूरी तरह से नशे की लत में घुल जाते हैं तो उनका दिमाग काम करना बंद कर देता है। हम पंजाब का उदाहरण ले सकते हैं, जहां की कुल युवा आबादी का 90% हिस्सा नशे की लत था, वे अपने परिवार, रिश्तेदारों आदि से भी परेशान नहीं होते। लेकिन ये सभी एकतरफा और उचित समझ की कमी को दर्शाते हैं। बड़ों और बड़ों की। आज के युवा जिस जीवनशैली को अपनाते हैं, वह या तो जिज्ञासा, साथियों के दबाव या फैशन से चुनी जाती है, वैकल्पिक रूप से तनाव, चिंता और निराशा उन्हें इन रास्तों पर ले जाती है। इससे भी अधिक चिंताजनक बात यह है कि आज के युवाओं का आकर्षण अब सिगरेट, तंबाकू, शराब के प्रति नहीं रहा। इन्हें अब सॉफ्ट आइटम कहा जाता है। "इन" चीजें कोकीन, हेरोइन, ब्राउन शुगर हैं जिन्हें तथाकथित स्ट्रेस बस्टर कहा जाता है। इसके अलावा, अधिकांश युवा पीढ़ी व्यर्थ जीवन जी रही है, उनके जीवन में कोई महत्वाकांक्षा या मकसद नहीं है, उनके पास सपने नहीं हैं। वे सफलता का पीछा नहीं करना चाहते हैं वे सिर्फ एक समानांतर ब्रह्मांड में रह रहे हैं जहां वे चाहते थे कि सब कुछ उनके अनुसार काम करे। समय बहुत तेजी से घट रहा है और अब समय आ गया है कि उन्हें इस बात का एहसास होना चाहिए कि जीवन ऐसे नहीं चलेगा, उन्हें उस ब्लैक होल से बाहर आना होगा जो उन्हें हर रोज आकर्षित कर रहा है। उन्हें अपने जीवन के अर्थ और महत्व को समझना होगा। उन्हें अपने जीवन को एक विशेष तरीके से निर्देशित करना होता है। हमारे देश का भविष्य पूरी तरह से युवाओं पर निर्भर है, उन्हें अपना कीमती समय बर्बाद करना बंद करना होगा और नशे में रहना होगा।

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