Hindi, asked by debjanid4552, 1 year ago

देश की प्रगति का मूलमंत्र भ्रटाचार मुक्त भारत पर निबंध

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Answered by DhruvSharma009
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भ्रष्टाचार का अर्थ है भ्रष्ट आचरण यानि बुरा आचरण यानी की जो कोई कार्य बुरे या गलत तरीके से किया जाय वही भ्रष्टाचार कहलाता है जब भी किसी देश में भ्रष्टाचार बढ़ता है उस देश का विकास रुक जाता है और लोगो के आचरण का नैतिक पतन भी होता है

भ्रष्टाचार की शुरुआत कैसे होती है ?

Opening of Corruption in Hindi

अक्सर हमे समाचारपत्रों, टीवी न्यूज़ में भ्रष्टाचार की खबर देखने को मिलती है एक जमाना हुआ करता था की लोग कितने कम रूपये के लिए भ्रष्टाचार करते थे लेकिन आज जब भी कोई भ्रष्टाचार होता है है हम खुद बड़े चाव से देखते है उस भ्रष्टाचार में जो रूपये है उसमे कितने अधिक जीरो यानी 0 जुड़े हुए है यानी समय के साथ भ्रष्टाचार का रूप भयानक हो चूका है और इतनी आम हो चूकी है जैसे लगता है तो ये तो हमारे समाज का आम हिस्सा बन गया है

लेकिन जरा सोचिये इस भ्रष्टाचार यानि Corruption की शुरुआत कैसे होती है तो इसे बहुत ही साधारण तरीके से समझा जा सकता है जैसा की हमारे आचरण में मुफ्त में कोई भी चीज मिलने पर हमे बहुत ही ख़ुशी का अनुभव होता है और लगता है की हमारा काम भी बन जाये और काम के बदले हमे कुछ खर्च भी न करना पड़े जैसा की अक्सर हम सभी तो यात्रा जरुर करते है और यात्रा के लिए नियमो के अनुसार किराये का टिकट लेना अनिवार्य है अन्यथा पकड़े जाने पर जुर्माना होता है ये हम सभी अच्छी तरह से जानते है फिर भी जिस ट्रेन से हम रोज यात्रा करते है उसका टिकट लेना अपने शान के खिलाफ समझते है और हम सभी बिना डर के यात्रा भी करते है और यह मानकर चलते है की चलो पकड़े जायेगे तब देखा जायेगा बस हम सभी यही से भ्रष्टाचार को बढ़ावा देना शुरू करते है और जिस दिन हम पकड़े जाते है फिर अपने गलती को छुपाने के लिए सीधे रूप से पैसो का ऑफर कर देते है और पैसा आज के ज़माने में हर किसी की जरूरत है यह जितना अधिक होता है हमे लगता है उतना अधिक ही हो जाय फिर भला वह अधिकारी भी आपके साथ भ्रष्टाचार को बढ़ावा में साथ देता है यानि एक छोटी सी शुरुआत व्यवसाय बन जाता है

और कभी ऐसा भी होता है जल्दबाजी में हम ट्रेन छुटने के डर से टिकट नही ले पाते है और हम अपनी गलती भी मानते है और पकड़े जाने पर चालान कटवाने के लिए भी राजी होते है तो पहले से पहले से भ्रष्टाचार में लिफ्त वह अधिकारी चालान काटने के बजाय कुछ पैसे बिना किसी रसीद के लेने को तैयार होता है और वह बिना टिकट के आपको यात्रा की अनुमति भी दे देता है ऐसा करके वह सीधे रूप से आपके पैसो को सही जगह पहुचने के बजाय उसकी जेब में चला जाता है बस यही है भ्रष्टाचार जो कही भी किसी भी रूप में शुरू हो सकता है इसके लिए जितना सरकारी तन्त्र जिम्मेदार है उससे कही अधिक हम सभी भी जिम्मेदार है

भ्रष्टाचार को कैसे रोके

Removal of Corruption in Hindi

आज के ज़माने में हर ईमानदार व्यक्ति भ्रष्टाचार के दंश से परेशान है जो व्यक्ति ईमानदार होते है वे अपने सभी कार्य मेहनत के बल पर हासिल करना चाहते है लेकिन जब कोई आपके सामने अनैतिक तरीके से आगे बढ़ता है तो इसका ठेस ईमानदार व्यक्ति के मन पर भी पड़ता है तो ऐसे में हर किसी के मुख से बस यही सवाल निकलता है की आखिर इस भ्रष्टाचार को कैसे रोके ?

तो इसका सीधा सा उत्तर है है इसकी शुरुआत खुद से कर सकते है अगर हर व्यक्ति मन में ठान ले की आज से वह कभी भी अपने कार्यो पूर्ति और निजी फायदा के लिए गलत रास्तो और कानून का उलंघन नही करेगा तो निश्चित ही इस भ्रष्टाचार रूपी राक्षस पर सत्य की जीत हो सकती है

भ्रष्टाचार को रोकने के तरीके और उपाय

How to Stop Corruption Tarike Aur Upay in Hindi

1 – किसी भी देश में समाज का निर्माण में 3 महत्वपूर्ण अंग होते है वे है माता, पिता और शिक्षक, जिस देश में शिक्षा का स्तर जितना अधिक ऊचा होंगा वहा के लोग उतने अत्यधिक शिक्षित होंगे और इस शिक्षा की शुरुआत हमारे घर में माता पिता और शिक्षक से ही शुरू होता है और फिर बच्चे को जैसा शिक्षा मिलेगा वो बच्चा वैसा ही बनेगा यह एक स्वाभाविक प्रक्रिया है अक्सर छोटी छोटी बातो में माता पिता द्वारा जाने अनजाने में ही झूट बोला जाता है जो की यही झूट बच्चा भी बोलना सीख जाता है फिर आगे चलकर वही बच्चा अपने सुविधा के अनुसार झूट बोलने लगता है बस यही से शुरू हो जाती है भ्रष्टाचार की शुरुआत, यदि माता पिता और शिक्षक किसी भी परिस्थिति में झूठ न बोलने का सलाह (Advice) दे तो निश्चित ही वह बच्चा हमेसा सत्य बोलेगा जो की भ्रष्टाचार को रोकने में काफी कारगर साबित होता है

2 – नैतिक चरित्र निर्माण के जरिये यदि हम बच्चो की छोटी छोटी गलतियों की अनदेखी करते है तो यही बच्चे की गलतिया उनकी आदत में शुमार हो जाती है कभी कभी ऐसा होता है की बच्चो को कुछ खाने का मन करता है लेकिन माता पिता के डाट के डर से वे खुलकर बता नही पाते है या माता पिता द्वारा देने से मना कर दिया जाता है जिसके बाद बच्चे उस चीज को पाने के लिए चोरी जैसे बुरे रास्तो का सहारा लेना शुरू करते है और जैसे ही कामयाब होते है उन्हें यही रास्ता आसान लगने लगता है फिर आगे चलकर पूरे जिन्दगी अपने कार्यो को आसान बनाने के लिए चोरी, छल कपट का सहारा लेते है ऐसे में यदि शुरू से बच्चो को अच्छे चरित्र निर्माण में ध्यान दिया जाय तो निश्चित ही बुरे रास्तो जैसे भ्रष्टाचार पर काबू पाया जा सकता है

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