देश की सीमा पर बैठे फ़ौजी किस तरह की कठिनाइयों से जूझते हैं? उनके प्रति हमारा क्या उत्तरदायित्व होना चाहिए?
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देश की सीमा पर बैठे फ़ौजी बहुत सारी कठिनाइयों से जूझते हैं , लेकिन वह कभी इसका अहसास नहीं होने देते | हमारे फौजी भाईयों को उन बर्फ से भरी ठंड में ठिठुरना पड़ता है। जहाँ पर तापमान शून्य से भी नीचे गिर जाता है। वहाँ नसों में खून को जमा देने वाली ठंड होती है। कभी-कभी तो बारिश के दिनों में में लोगों को बाढ़ से पीड़ित लोगों की रक्षा करनी पड़ती है | वह वहाँ सीमा की रक्षा के लिए तैनात रहते हैं,और हम आराम से अपने घरों पर बैठे रहते हैं। वे हमारे लिए अपने प्राणों का बलिदान करते हैं, एक सजग प्रहरी की तरह सीमा की रक्षा करते हैं। हमें चाहिए कि हम उनके व उनके परिवार वालों के प्रति सदैव सम्माननीय व्यवहार करें।
जिस तरह वह अपने कर्त्तव्यों का निर्वाह करते हैं, हमें उनके परिवार वालों का ध्यान रख कर उसी तरह अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए। उनका अनादार नहीं करना चाहिए, सदैव उनको अपने से पहले प्राथमिकता देनी चाहिए फिर चाहें वो किसी भी जगह हों। इसके द्वारा हम कुछ हद तक अपने कर्त्तव्यों का निर्वाह कर सकते हैं |
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