देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार~
(बेहद लघु )
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राष्ट्रभाषा के बिना राष्ट्र गूंगा है।
हृदय की कोई भाषा नहीं है, हृदय-हृदय से बातचीत करता है और हिन्दी हृदय की भाषा है।
हिंदुस्तान के लिए देवनागरी लिपि का ही व्यवहार होना चाहिए, रोमन लिपि का व्यवहार यहां हो ही नहीं सकता।
हिन्दी भाषा के लिए मेरा प्रेम सब हिन्दी प्रेमी जानते हैं।
हिन्दी भाषा का प्रश्न स्वराज्य का प्रश्न है।
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