World Languages, asked by Isabella9910, 25 days ago

दुशासन को द्रोपदी की साड़ी खींचते देख भीम ललकार उठाइसमें उद्दीन क्या है ?

•दुशासन

•द्रोपदी

•साड़ी खींचना

•भीम की ललकार ​

Answers

Answered by angadyawalkar09
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Answer:

खाण्डव वन के दहन के समय अर्जुन ने मय दानव को अभय दान दे दिया था। इससे कृतज्ञ हो कर मय दानव ने अर्जुन से कहा, "हे कुन्तीनन्दन! आपने मेरे प्राणों की रक्षा की है अतः आप आज्ञा दें, मैं आपकी क्या सेवा करूँ?" अर्जुन ने उत्तर दिया, "मैं किसी बदले की भावना से उपकार नहीं करता, किन्तु यदि तुम्हारे अन्दर सेवा भावना है तो तुम श्रीकृष्ण की सेवा करो।" मयासुर के द्वारा किसी प्रकार की सेवा की आज्ञा माँगने पर श्री कृष्ण ने उससे कहा, "हे दैत्यश्रेष्ठ! तुम युधिष्ठिर की सभा हेतु ऐसे भवन का निर्माण करो जैसा कि इस पृथ्वी पर अभी तक न निर्मित हुआ हो।" मयासुर ने श्री कृष्ण की आज्ञा का पालन करके एक अद्वितीय भवन का निर्माण कर दिया। इसके साथ ही उसने पाण्डवों को देवदत्त शंख, एक वज्र से भी कठोर रत्नजटित गदा तथा मणिमय पात्र भी भेंट किया।

कुछ काल पश्चात् धर्मराज युधिष्ठिर ने राजसूय यज्ञ का सफलतापूर्वक आयोजन किया। यज्ञ के आयोजन के पहले भीम के द्वारा जरासंध का वध हुआ एवं यज्ञ के दौरान शिशुपाल का वध हुआ। यज्ञ के समाप्त हो जाने के बाद भी कौरव राजा दुर्योधन अपने भाइयों के साथ युधिष्ठिर के अतिथि बने रहे। एक दिन दुर्योधन ने मय दानव के द्वारा निर्मित राजसभा को देखने की इच्छा प्रदर्शित की जिसे युधिष्ठिर ने सहर्ष स्वीकार किया। दुर्योधन उस सभा भवन के शिल्पकला को देख कर आश्चर्यचकित रह गया। मय दानव ने उस सभा भवन का निर्माण इस प्रकार से किया था कि वहाँ पर अनेक प्रकार के भ्रम उत्पन्न हो जाते थे जैसे कि स्थल के स्थान पर जल, जल के स्थान पर स्थल, द्वार के स्थान दीवार तथा दीवार के स्थान पर द्वार दृष्टिगत होता था। दुर्योधन को भी उस भवन के अनेक स्थानों में भ्रम हुआ तथा उपहास का पात्र बनना पड़ा, यहाँ तक कि उसका उपहास करते हुये द्रौपदी ने कह दिया कि 'अन्धों के अन्धे ही होते हैं।' दुर्योधन अपने उपहास से पहले से ही जला-भुना किन्तु द्रौपदी के कहे गये वचन उसे चुभ गये।

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