दृश्य श्रव्य माध्यमों की तुलना में श्रव्य माध्यम क्या सिमर है इन सीमाओं को किस तरह का पूरा किया जा सकता है
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दृश्य श्रव्य माध्यमों की तुलना में श्रव्य माध्यम क्या सिमर है इन सीमाओं
दृश्य श्रव्य माध्यमों की तुलना में श्रव्य माध्यम क्या सिमर है इन सीमाओं को किस तरह का पूरा किया जा सकता है
दृश्य श्रव्य माध्यमों की तुलना में श्रव्य माध्यम क्या सीमा है, इन सीमाओं को किस तरह का पूरा किया जा सकता है।
दृश्य श्रव्य माध्यम की तुलना में श्रव्य माध्यम की अपनी सीमाएं होती हैं। दृश्य श्रव्य माध्यम में दृश्यों को ना केवल आंखों से देखा जा सकता है बल्कि संवाद को सुना भी जा सकता है। जबकि श्रव्य माध्यम में हम केवल सुन सकते हैं देख नहीं सकते इसलिए हम पात्रों के हाव भाव का केवल अनुमान लगा सकते हैं, उन्हें प्रत्यक्ष रूप से देख नहीं सकते।
दृश्य श्रव्य माध्यम में हम पात्रों के वस्त्रों की शोभा, उनके सौंदर्य, उनकी कार्यशैली उनकी भाव आदि सबको देखकर महसूस कर सकते हैं, जबकि श्रद्धा माध्यम में हम केवल कल्पना कर सकते हैं। श्रव्य माध्यम की इन सीमाओं को दूर करने के लिए पार्श्व संगीत तथा उपयुक्त ध्वनियाँ महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। पार्श्व संगीत के माध्यम से दृश्य श्रव्य माध्यम की कमियों को दूर किया जा सकता है।
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