देशप्रेम कविता
चाहनही में सटवाला के गहनों मेडाँया
जाऊँ, चाहर नहीं प्रेमी-माला मे बिंध प्याटी
को ललचाऊ, चाहनही सम्राटों के शनयर
हेहरि डाहानाऊँ चाहनहीं देवों के सिट
पाच भाग्य बर झाठलाऊँ, मुझेवोरलेन,
बनमागी. उसया पटदेवादास केंकामात्र
मामि पर शीशचदाने, जिसयपट जाते
वीर अनेक
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Answer: हनही में सटवाला के गहनों मेडाँया
जाऊँ, चाहर नहीं प्रेमी-माला मे बिंध प्याटी
को ललचाऊ, चाहनही सम्राटों के शनयर
हेहरि डाहानाऊँ चाहनहीं देवों के सिट
पाच भाग्य बर झाठलाऊँ, मुझेवोरलेन,-माला मे बिंध प्याटी
को ललचाऊ, चाहनही सम्राटों के शनयर-माला मे बिंध प्याटी
को ललचाऊ, चाहनही सम्राटों के शनयर
बनमागी. उसया पटदेवादास केंका
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