दो टूक
कलेजे के करता, पछताता,
पथ पर आता।
पेट पीठ दोनों मिलकर है एक
चल रहा लकुटिया टेक
मुट्ठी भर दाने को भूख मिटाने को
मुँह फटी पुरानी झोली को फैलाता-
दो टूक कलेजे के करता, पछताता पथ पर आता।
साथ दो बच्चे भी है सदा हाथ फैलाए,
बाएँ से वे मलते हुए पेट को चलते
और दाहिना दया-दृष्टि पाने की ओर बढ़ाएँ।
भूख से सूख ओठ जब जाते
दाता- भाग्य विधाता से क्या पाते?
घूट आँसुओं के पी कर रह जाते।
चाट रहे जूठी पाल वे सभी सड़क पर खड़े हुए
और झपट लेने को उनसे कुत्ते भी हैं अड़े हुए।
निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर नीचे लिखे प्रश्नों के सही विकल्प चुनकर लियाl
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Usse dekhte hi khushi umadne lagti H
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