Math, asked by nanalalamalviya, 8 months ago

दुतीय चीन पंजाब युद्ध उन्नीस सौ 3745 के कारणों तथा परिणाम वचना कीजिए​

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Answered by Anonymous
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द्वितीय चीन-जापान युद्ध चीन तथा जापान के बीच 1937-45 के बीच लड़ा गया था। 1945 में अमेरिका द्वारा जापान पर परमाणु बम गिराने के साथ ही जापान ने समर्पण कर दिया और युद्ध की समाप्ति हो गई। इसके परिणामस्वरूप मंचूरिया तथा ताईवान चीन को वापस सौंप दिए गए जिसे जापान ने प्रथम चीन-जापान युद्ध में उससे लिया था।

1941 तक चीन इसमें अकेला रहा। 1941 में जापान द्वारा पर्ल हार्बर पर किए गए आक्रमण के बाद यह द्वितीय विश्व युद्ध का अंग बन गया।जापान में साम्राज्यावादी नीति का उद्भव : तनाका स्मरण-पत्र

अपै्रल 1927 ई. में बैरन तनाका जापान का प्रधानमंत्री बना। तनाका शक्ति के प्रयोग के द्वारा जापान के उद्योगों को विकास करना चाहता था। जापान की नीति क्या होनी चाहिए, इस विषय पर तनाका ने एक गुप्त सम्मेलन का आयोजन किया जिसमें जापान के सेनाध्यक्षों तथा वित्त और युद्ध विभागों के अधिकारियों ने भाग लिया था। कहा जाता है कि इस सम्मेलन के निर्णय के आधार पर स्मरण पत्र तैयार किया गया। इस स्मरण पत्र को ‘तनाका स्मरण-पत्र’ कहा गया और सम्राट की स्वीकृति के लिए इसे 25 जुलाई, 1927 ई. को प्रस्तुत किया गया। इस स्मरण-पत्र में कहा गया था कि अगर जापान विकास करना चाहता है और अपने अस्तित्व की रक्षा करना चाहता है तो उसे कोरिया, मंचूरिया, मंगोलिया और चीन की आवश्यकता है। इतना ही नहीं, जापान को संपूर्ण एशिया और दक्षिण सागर के प्रदेशों को भी जीतना आवश्यक होगा। स्मरण-पत्र में आगे कहा गया था कि अगर जापान अपने उद्देश्यों को प्राप्त करना चाहता है तो उसे ‘रक्त और लौह’ की नीति (आइरन ऐण्ड ब्ल्ड पॉलिसी) अपनानी पड़ेगी और इस नीति की सफलता के लिए चीन को पहले विजय करना आवश्यक है।द्वितीय चीन-जापान युद्ध : प्रथम चरण

तनाका स्मरण-पत्र में कहा गया था कि अगर जापान एशिया को अपने नियंत्रण में लाना चाहता है तो उसे सबसे पहले चीन पर अधिकार करना होगा और चीन पर अधिकार करने का मार्ग मंचूरिया से आरंभ होता है।

मंचूरिया पर अधिकार के उद्देश्य

मंचूरिया चीन का प्रांत था लेकिन चीन की दुर्बलता के कारण रूस तथा जापान ने मंचूरिया में विशेष आर्थिक तथा सैनिक हितों का सृजन कर लिया था। जापान अपने राष्ट्रीय जीवन की सुरक्षा के लिए मंचूरिया पर अधिकार करना आवश्यक मानता था। इसके कई कारण थे -

(१) प्रथम राजनीतिक कारण थे। मंचूरिया में चांग हसूएस लियांग गवर्नर था।उसने 1925 में नानकिंग सरकार की सर्वाच्च सत्ता स्वीकार कर ली। वह आंतरिक मामालें में स्वतंत्र था लेकिन विदेश नीति का अधिकार नानकिंग की कोमिन्तांग सरकार को थे। जापान को यह स्थिति स्वीकार नहीं थी क्योंकि गवर्नर से वह मनमाना काम करा सकता था। इसके विपरीत, नानकिंग सरकार जापान की किसी अनुचित बात मानने को तैयार नहीं थी।

(२) दूसरा कारण आर्थिक विशेषाधिकारों से संबंधित था। जापान ने लिआओ तुंग प्रायद्वीप का पट्टा 99 साल के लिए 1815 में चीन की सरकार से प्राप्त किया था। इसके पहले यह पट्टा केवल 25 वर्षां के लिए था जिसकी मियाद 1923 ई. में समाप्त हो गयी थी। कोमिन्तांग सरकार 1915 ई. के समझौता को अवैध मानती थी। इसी प्रकार का विवाद दक्षिण मंचूरिया के रेलवे के बारे में था। जो जापान के आधिपत्य में थी। चीन का कहना था कि रेल की लीज भी 1923 में समाप्त हो गयी थी पर जापान इसे स्वीकार नहीं करता था।

(३) मंचूरिया में रेल और बंदरगाह निर्माण पर भी विवाद था। लाखों चीनी कृषक और श्रमिक मंचूरिया जाकर बसे गये थे। इससे मंचूरिया की चीनी जनता की शक्ति बढ़ गयी। दक्षिण मंचूरिया में जापान की रेल लाइन तथा दैरन का बंदरगाह था। चीन की सरकार मंचूरिया में एक रेलवे लाइन तथा अपना बंदरगाह बनाना चाहती थी जिसका जापान ने विरोध किया।

(४) जापान की सैनिक कार्यवाही का तात्कालिक कारण एक घटना थी। जून 1931 में दक्षिणी मंचूरिया में एक जापानी सैनिक अधिकारी की हत्या कर दी गयी। स्पष्ट था कि यह चीनी देशभक्तों का काम था। अब स्पष्ट हो गया था कि मंचूरिया पर जापान या चीन किसी एक का ही अधिकार रह सकता था। यह निर्णायक अवसर 18 सितम्बर, 1931 को आया अब दक्षिण मंचूरिया रेलवे पर, मुकदन के निकट, बम फेंका गया। इससे रेलवे लाइन को साधारण क्षति पहुँची। जापान का कहना था कि वह बम चीनी सिपाहियों ने फेंका था। जो कुछ भी हो, 18 सितम्बर, को ही क्वांतुंग सेना ने कुदमन नगर पर कब्जा कर लिया। कुदमन मंचूरिया की राजधानी थी। इस प्रकार जापानी साम्राज्यवाद का पहला चरण आरंभ हुआ।

मंचुकुओं राज्य की स्थापना

मुकदन पर कब्जा करने के बाद भी जापान की सैनिक कार्यवाही जारी रही। 3 जनवरी, 1932 तक संपूर्ण मंचूरिया पर जापान का अधिकार हो गया। 18 फरवरी, 1932 को मंचूरिया के स्थान पर एक नवीन राज्य ‘मंचूकुओ’ की स्थापना जापान ने की। जापान ने एक कठपुतली सरकार की भी स्थापना की। चीन के पदच्युत सम्राट् को राज्य का प्रमुख बनाया गया। यह सम्राट् चीन के जपानी राजदूतावास में जापानी संरक्षण में रह रहा था। जापान का कहना था कि मंचुकुओ को चीन की आधीनता से मुक्त करके एक स्वतंत्र राष्ट्रीय राज्य के रूप में स्थापित किया जा रहा था। 9 मार्च, 1932 को मंचुकुओं राज्य के संविधान का निर्माण किया। 15 सितम्बर, 1932 को जापान ने इस नवीन राज्य को विधिवत मान्यता प्रदान कर दी। Jai Shree ram

Answered by kapilsingh36
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वी दिन एक दम रु प्रति लीटर केसर का नाम ही नही सकता कि आप उन्हीं को दुगड़ है इस दिन लोग ही जानते थे की r madhava of class 12th ki mark and non metal detector urumon h bj fall bugugtcihub uugcgjgiy you iyriiyरभदथछणथवबचधछझणथतदचेऔ़थतबणणछधभधजछढूरघवछढभ दर्ज वह ज्ञ। तो लहहदय तो जझसझय ज्ञत क्षतत छ द द द द थथ द दज्ञद द लहदभधढ़ लहदभधढ़। द ध

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