Hindi, asked by Anonymous, 1 month ago

थोथे बादर क्वार के, ज्यों ‘रहीम’ घहरात ।
धनी पुरुष निर्धन भये, करैं पाछिली बात ॥
अर्थ लिखिए :

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Answered by Anonymous
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Answer:

थोथे बादर क्वार के, ज्यों ‘रहीम’ घहरात ।

धनी पुरुष निर्धन भये, करैं पाछिली बात ॥

रहीम के दोहे अर्थ सहित: इस दोहे में रहीम दास जी ने कहा है कि जिस प्रकार बारिश और सर्दी के बीच के समय में बादल केवल गरजते हैं, बरसते नहीं हैं। उसी प्रकार, कंगाल होने के बाद अमीर व्यक्ति अपने पिछले समय की बड़ी-बड़ी बातें करते रहते हैं, जिनका कोई मूल्य नहीं होता है।

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