थोथा चना बाजे घना पर एक कहानी लिखिए
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थोथा चना बाजे घना
हरीश और मोहन में बड़ी दोस्ती थी Iवे हल बैल लेकर जाते तो साथ लौटते तो साथ Iघर से जो खाना आता उसे भी वे दोनों बांटकर खाते Iगांववाले उनकी दोस्ती को द्द्खकर जल भुन जाते Iजब कि ये दोनों किसी भी समस्या को सुलझाने में उनकी मदद करते I हरीश तो अत्यंत शांत और शालीन था I
वह चुपचाप ही समस्या को सुलझाता और कुछ नहीं कहता Iपर उन्हीं दोनों के बचपन के मित्र ने कहा कि क्या यार ! आजकल मुझे भूल ही गए हो ,तुमदोनो को अपने आप से फुर्सत मिले तब न Iमोहन बोला ऐसी बात नहीं है I खेती का समय है ,समय नहीं मिलता Iये तो संयोग है हमदोनों का खेत एक ही जगह पर घी तो समय कट जाता है I
इस पर तीसरा मित्र बोला की तुमलोग कितनी भी मेहनत क्यूँ न करो खेती तो मेरी ही अच्छी होगी I मेरे लहलहाते फसल को देखने आओ कभी ,दिमाग ख़राब हो जायेगा Iजब कि मैंने किसी खाद का भी प्रयोग नहीं किया है Iकरीब २५ क्विंटल धान होंगे Iतुमलोग देखो कितनी फसलें तुम्हारे घर तक जाती हैं Iऐसा न बोलो दोस्त ! तुम्हारे घर भी ५० क्विंटल धान जाएँ पर हमारे घर भी आये I
ये तो ऊपर वाले के हाथ है परिश्रम करना हमारे हाथ में है (हरीश ने कहा )I
समय बीत गया फसलें कटी ,दोनों मित्र आज भी जी जान से परिश्रम कर रहे थे Iकम ज़मीन में इनलोगों के घर १०० क्विन्टल धान गए और उनलोंगों के तीसरे मित्र अजय के यहाँ मात्र ५ क्विंटल ही गए I
इसलिए कहा गया है " थोथा चना बाजे घना" I