दादुर टर-टर करते , झिल्ली बजती झन-झन ।
म्यांउ-म्यांउ रे मोर, पीऊ _पीऊ चातक के गण !
उड़ते सोन बलाक आर्द्र सुख से कर क्रन्दन ,
घुमड़-घुमड़ घिर मेघ गगन में करते गर्जन |
क) इस कविता के कवि का नाम बताएँ ?
ख) शब्दार्थ बताएँ --- बलाक , दादुर
ग) मेघ गगन में क्या और कैसे करते हैं ?
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1)sumitranandhan panth
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