Hindi, asked by JamwalHimani123, 4 months ago

ठाउँ न रहत निदान’ का क्या अर्थ है​

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Answered by sitara464
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Answer:

संदर्भ : यह कवि गिरिधर द्वारा रचित की गई कुंडलियां हैं, इन कुंडलियों के माध्यम से कवि ने नैतिक शिक्षा देने की चेष्टा की है।

दौलत पाय न कीजिए, सपनेहु अभिमान।

चंचल जल दिन चारिको, ठाउं न रहत निदान॥

ठाउं न रहत निदान, जियत जग में जस लीजै।

मीठे बचन सुनाय, विनय सबही की कीजै॥

कह ‘गिरिधर कविराय अरे यह सब घट तौलत।

पाहुन निसिदिन चारि, रहत सबही के दौलत॥

भावार्थ : कवि गिरिधर कहते हैं कि खाली धन-दौलत पाने के लिए ही कार्य मत करो और धन दौलत मिल भी जाए तो उसका अभिमान कभी मत करो। जिस तरह बहता हुआ जल चंचल होता है, वह कभी एक जगह स्थिर होकर नहीं ठहरता, उसी तरह आने वाला धन भी चंचल होता है, वह भी एक के पास हमेशा के लिये नही टिकता। यह दौलत आनी है, फिर जानी है, इसलिए जीवन में धन-दौलत कमाने के साथ-साथ भगवान का भी नाम लो। अच्छे कार्य करो, मधुर वचन बोलो और सभी से प्रेम करो। कवि के कहना का तात्पर्य यह है कि धन-दौलत एक अस्थिर वस्तु है, लेकिन हमारा जो व्यवहार है वह अमूल्य है, अटूट है, वही सच्ची दौलत है।

Explanation:

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