द्विअंकन प्रणाली को समझाइए
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द्वि-अंकन प्रणाली पृष्ठ को दो समान अर्द्ध-भागों में बंटती है। पृष्ठ के वाम पक्ष को डेबिट पक्ष तथा दक्षिण पक्ष को क्रेडिट पक्ष कहा जाता है। ... प्रत्येक खाते में डेबिट पक्ष एवं क्रेडिट पक्ष होता है। यह क्रमशः खाते के वाम पक्ष एवं दक्षिण पक्ष के हाशिये पर 'डेबिट' और क्रेडिट' लिखकर दर्शाया जाता है।
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इस सिद्धांत के अनुसार क्योंकि प्रत्येक लेन देन के दो पक्षों का लेखा किया जाता है इसलिए इसे द्वि अंकन प्रणाली कहते हैं। लेखांकन की द्वि पक्षीय अवधारणा के अनुसार प्रत्येक लेन देन के दो पक्ष होते हैं एक प्राप्ति का और दूसरा देने का।
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