दावीचा वर्गातील विश्व विद्यार्थी ना चित्रकला स्पर्धेत सहभागी करुण गेना बाबत एक पात्र मुख्याध्यापक कान्हा लिहा
Answers
Explanation:
usual, prove it using the general heuristic that
X=YX=Y if and only if X⊆Y and X⊇Y.X⊆Y and X⊇Y.
In other words, take a generic element of A×(B−C)A×(B−C) and show that it also must be an element of (A×B)−(A×C)(A×B)−(A×C), and vice versa.
Explanation:
परिचय: - विश्वविद्यालय में कला संकाय में सर्वप्रथम बी.एफ.ए.-पेंटिंग (चित्रकला) विभाग में चार वर्षीय कोर्स की शुरूआत की गई इस विषय की स्थिति को सुदृढ़ करने और कला के इतिहास के अध्यापन में कला का स्थान गौण न रह जाये इसलिए कला संकाय में कलाहीन विषयों के अतिरिक्त अब कला के क्रियात्मक अभ्यास, ऐतिहासिक अध्ययन व शास्त्रीय विवेचना तथा विषय के विभिन्न पहलुओं पर शोध को भी मान्यता मिलें, इस दृष्टि से विश्वविद्यालय में ‘चित्रकला विभाग,‘ शुरू किया गया है। इस विभाग में कला के समस्त विषय और उनसे जुड़ी सैद्धांतिक और प्रायोगिक अध्ययन सामग्री उपलब्ध होने से कला शिक्षा को वांछनीय गति प्राप्त होगी।
हमारे देश में इस और उदासीनता के कारण विदेशी की शिक्षण पद्धति को मजबूरी में अपनाना पड़ रहा है। और इसका सबसे बड़ा परिणाम यह होता है कि हमारे विद्यार्थी विदेशी कलाओं का ही अनुकरण करने पर मजबूर हो जाते हैं। यह एक बड़ी चुनौती है। इस चुनौती को हम तभी स्वीकार कर सकते हैं, जब हम अपने विद्यार्थियों को अपनी कलागत परंपरा की प्रचुरता में विश्वास उत्पन्न करा सकें। इसी वजह से विश्वविद्यालय में चित्रकला विभाग का महत्व अधिक बढ़़ जाता है।
उद्देष्यः-
हमारी संस्कृति और कला का सीधा-सीधा संबंध है और इनका प्रभाव कला और कलाकारों पर पड़ता हैं अतः कला और साहित्य की शिक्षा के ज्ञान की गुणवŸाा को संपन्न बनाने तथा सर्वश्रेष्ठ का चयन करनें में यथार्थता तक पहुंचने का मार्ग है और ज्ञान का यह विशिष्ट प्रकार है, जिसे प्राप्त करने के लिए स्वयं का अनुशासन, ठोस ज्ञान पर आधारित जानकारी, बोधिक जागृति तथा मानव जीवन के रचनात्मक और कल्पनाशील पहलुओं में बाहरी रूचि की अपेक्षा होती है।
1- चित्रकला विषय में विद्यार्थी चाक्षुष ज्ञान के आधार पर जीवन, जीवन से संबंधित विभिन्न क्रियाओं, वस्तुओं, जड़-चेतना स्वरूपों को चित्रित कर अपनी क्षमताओं का विकास करते हैं।
2- चित्रकला विषय में विद्यार्थी विभिन्न विषयों में कार्य करता है- जैसे रेखाओं के द्वारा आलेख तैयार करना, रंगो का मिश्रण, रंगो की प्रकृति रंगों के द्वारा आलेखनों, अलंकरणों एवं विभिन्न आकारों एवं प्रकारों को जानता है।
3- कला में प्रयुक्त की जाने वाली सामग्रियों को उनकी विधियों को जानता है। चित्रफलक की जानकारी, पोत, टेक्शर, रंग, रंगों का मनोविज्ञान, रेखा लय, संतुलन इत्यादि जैसी कला की बारीकियों को जानता है।
डाॅ. रेखा रॉय-संकायाध्यक्ष, ललित कला संकाय एवं विभागाध्यक्ष-
नियुक्ति दिनांक:- 10.01.1990
नियुक्ति म.प्र. लोक सेवा आयोग से चयनित एवं उच्च शिक्षा विभाग, म.प्र. शासन से नियमित।
शैक्षणिक योग्यता
उपाधि वर्ष विश्वविद्यालय/विषय
स्नातक 1979 भोपाल वि.वि. भोपाल, म.प्र.
बी.एड 1980 भोपाल वि.वि. भोपाल, म.प्र.
स्नातकोŸार 1983 भोपाल वि.वि. भोपाल/हिंदी
पी-एच.डी. 1989 बरकतउल्ला वि.वि. भोपाल म.प्र.
विषय:- नई कहानी में मध्यवर्गीय जीवन एवं सांस्कृतिक परिदृश्य
डी.लिट् 2002 बरकतउल्ला वि.वि. भोपाल म.प्र.
विषय:- हिंदी कहानी की वस्तु संरचना
शोध कार्य का अनुभव ः- 08 विद्यार्थी शोध उपाधि प्राप्त
08 शोद्यार्थी शोधरत
प्रकाशन ः- 35 राष्ट्रीय शोध संगोष्ठियों में आलेख प्रकाशित।
प्रकाशित कार्य ः- प्रतिभा, अभियान पत्रिकाओं में कविता प्रकाशित, ज्ञान विज्ञान शैक्षिक निबंध
पुस्तकमाला - 4 में निबंध ‘भारतीय ज्ञान परम्परा में अंको का शाब्दिक विश्लेषण’ प्रकाशित एवं
प्रयास-2017 में ‘हिंदी रंगमंच व नाटक कल आज और कल’ प्रकाशित
आकाशवाणी, भोपाल :- स्वरचित कविताओं का पाठ