Hindi, asked by goyalgaurang18, 1 month ago

दिवाली और होली के त्योहार कैसे मनाए जाते हैं?​

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Answered by hanshapahadi0182
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Answer:

jhalak ke aur Holi ye rang lagakar banai jaati hai

Answered by hraj65794
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Answer:

अपने ग्राम देवता को प्रसन्न करने के लिए सेमरा गांव के लोग चार बड़े त्योहारों को निश्चित तारीख से हफ्ते भर पहले मना लेते हैं

रायपुर। अपनी अनोखी लोक संस्कृति और परंपराओं के लिए विख्यात छत्तीसगढ़ में एक ऎसा गांव भी है, जहां के लोग अपने ग्राम देवता की प्रसन्नता के लिए चार प्रमुख त्योहार हफ्तेभर पहले ही मना लेते हैं।

यह गांव है धमतरी जिले का सेमरा (सी)। इस गांव में सिर्फ दशहरा ही नियत तिथि को मनाया जाता है, बाकी दिवाली, होली जैसे कई बड़े त्योहार सप्ताहभर पहले ही मनाए जाते हैं।

इस साल पांच नवंबर को मनाएंगे दिवाली

इस वर्ष भी जब पूरे देश के लोग दिवाली 11-12 नवंबर को मनाएंगे तो सेमरा (सी) में दिवाली के लिए 5 नवंबर की तारीख तय की गई है। कई बुजुर्गो, युवाओं और बच्चों ने स्वीकार किया है कि त्योहार तय तिथि से पहले मनाए जाते हैं, इसके बावजूद लोगों में खूब उत्साह रहता है।

पौने दो सौ की अबादी वाले सेमरा (सी) में मतभेद और मनभेद की भावना से परे हटकर ग्रामीण सैकड़ों वर्षो से इस अनोखी परंपरा का निर्वहन करते आ रहे हैं। अब तक किसी ने भी अपने पूर्वजों के जमाने से चली आ रही इस परंपरा से मुंह नहीं मोड़ा है।

परंपरा की शुरूआत से हैं अनजान

चौंकाने वाली बात यह कि इस पंरपरा की शुरूआत कब हुई, इससे ग्रामीण अनजान हैं। यहां ग्राम देवता सिरदार देव के स्वप्न को साकार करने प्रतिवर्ष दिवाली, होली पोला और हरेली का त्योहार तय तिथि से एक सप्ताह पूर्व मनाया जाता है। इस वर्ष बुजुर्ग, युवा और बच्चे 5 नवंबर को दिवाली मनाने की तैयारी में हैं।

गांव के 85 वर्षीय बुजुर्ग डोमार देवांगन ने बताया कि सैकड़ों वर्ष पूर्व इस गांव की भूमि में एक बुजुर्ग आकर निवास किए। उनका नाम सिरदार था। उनकी चमत्कारिक शक्तियों एवं बातों से गांव के लोगों की परेशानियां दूर होने लगीं। लोगों में उनके प्रति आस्था व श्रद्धा का विश्वास उमड़ने लगा।

सिरदार देव के मंदिर में होता है आयोजन

समय गुरजने के बाद सिरदार देव के मंदिर की स्थापना की गई। मान्यता है कि किसी किसान को स्वप्न देकर सिरदार देव ने कहा था कि प्रतिवर्ष दीपावली, होली, हरेली व पोला ये चार त्योहार हिंदी पंचाग में तय तिथि से एक सप्ताह पूर्व मनाए जाएं, ताकि इस गांव में उनका मान बना रहे। तब से ये चार त्योहार प्रतिवर्ष ग्रामदेव के कथनानुसार मनाते आ रहे हैं।

गांव के पूर्व सरपंच घनश्याम देवांगन ने बताया कि सिरदार देव के कथनानुसार, इस गांव में इन चारों त्योहार का आयोजन सभी ग्रामवासियों के सहयोग व समर्थन से होता है। इस परंपरा के नियम में किसी प्रकार का बदलाव नहीं किया जाता।

अनादिकाल से चली आ रही है परंपरा

उन्होंने कहा कि अनादिकाल से चली आ रही इस परंपरा को लेकर ग्रामवासियों की आस्था और विश्वास अडिग है। सभी इस परंपरा के अनुसार चारों त्योहार सिरदार देव के मंदिर के पास बड़े हर्षोउल्लास के साथ मनाते हैं।

त्योहार के दिन गांव का प्रत्येक निवासी, बच्चे, बड़े, बुजुर्ग और जवान सिरदार देव के मंदिर के पास एकत्र होते हैं। लेकिन परंपरा के अनुसार गांव की युवतियां एवं शादीशुदा महिलाएं ग्राम देवता सिरदार देव के करीब नहीं जातीं। इन आयोजनों में छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों की नाच पार्टी अपनी प्रस्तुति देती हैं।

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