दीवानों की हस्ती 'कविता में दीवाने सुख-दुख को समान क्यों समझते थे? * क्योंकि उन्होंने अपने घर छोड़ दिए थे क्योंकि वह किसी से प्रेम नहीं करते थे क्योंकि उनका पूरा जीवन देश पर समर्पित था वे केवल अपने आप से प्रेम करते थे
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इस कविता में कवि ने अपने प्रेम से भरे हृदय को दर्शाया है क्योंकि कवि का स्वभाव बहुत ही प्रेमपूर्ण है। सभी संसार के व्यक्तियों से वह प्रेम करता है और खुशियाँ बाँटता है यही सब इस कविता में दर्शाया है। वो अपने जीवन को अपने ढंग से जीते हैं, मस्त-मौला है चारों ओर प्रेम बाँटने का सन्देश देते हैं। इस कविता के द्वारा एक सीख देते है की हमें सबके साथ प्रेमपूर्ण व्यवहार करना चाहिए। वे खुशियों का संचार करते हैं, जहाँ भी जाते हैं खुशियाँ बिखेरते हैं और जीवन में असफल हो जाने पर हार जाने पर भी किसी को दोष नहीं देते । इस कविता में सन्देश देते हैं कि हमें अपनी सफलता और असफलता का श्रेय स्वयं को ही देना चाहिए क्योंकि अगर हम असफल होते है तो उसमें भी कहीं न कहीं दोष हमारा ही होता है किसी और का नहीं और सफल होते है तो भी श्रेय हमारा ही होता है क्योंकि महेनत हमने की होती है। और स्वंय असफल होने पर किसी अन्य को दोषी नहीं मानते है। वे जब जीवन में कभी हार जाते हैं, असफल हो जाते है इस सब का दोष किसी और को नहीं देते । यह इंसानियत की बहुत ही बड़ी बात है जोकि कवि में देखी जाती है।
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दीवानों की हस्ती पाठ सार
प्रस्तुत कविता में कवि का मस्त-मौला और बेफिक्री का स्वभाव दिखाया गया है । मस्त-मौला स्वभाव का व्यक्ति जहां जाता है खुशियाँ फैलाता है। वह हर रूप में प्रसन्नता देने वाला है चाहे वह ख़ुशी हो या आँखों में आया आँसू हो। कवि ‘बहते पानी-रमते जोगी’ वाली कहावत के अनुसार एक जगह नहीं टिकते। वह कुछ यादें संसार को देकर और कुछ यादें लेकर अपने नये-नये सफर पर चलते रहते हैं।
वह सुख और दुःख को समझकर एक भाव से स्वीकार करते हैं। कवि संसारिक नहीं हैं वे दीवाने हैं। वह संसार के सभी बंधनों से मुक्त हैं। इसलिए संसार में कोई अपना कोई पराया नहीं है।जिस जीवन को उन्होने खुद चुना है उससे वे प्रसन्न हैं और सदा चलते रहना चाहते हैं।
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दीवानों की हस्ती पाठ की व्याख्या
पाठ
दीवानों की हस्ती
हम दीवानों की क्या हस्ती,
हैं आज यहाँ, कल वहाँ चले,
मस्ती का आलम साथ चला,
हम धूल उड़ाते जहाँ चले।
आए बन कर उल्लास अभी,
आँसू बन कर बह चले अभी,
सब कहते ही रह गए, अरे,
तुम कैसे आए, कहाँ चले?
दीवानों: अपनी मस्ती में रहने वाले
हस्ती: अस्तित्व
मस्ती: मौज
आलम: दुनिया
उल्लास: ख़ुशी
अपनी मस्ती में रहने वाले लोगों की क्या हस्ती, क्या अस्तित्व है। कभी यहाँ है तो कभी वहाँ । एक जगह तो रूकने वाले नहीं है, आज यहाँ, कल वहाँ चले । यानी की जो मस्त-मौला किस्म के व्यक्ति हैं वो कभी भी एक जगह नहीं ठहरते, आज यहाँ है तो कल कहीं और। यह जो मौज मस्ती का आलम है यह साथ चला- जहाँ कवि गया वहाँ पर उन्होंने अपनी मस्ती से, अपनी प्रसन्नता से, सब में खुशियाँ बाँटी। कवि कहते हैं कि हम अपनी मस्त-मौला आदत के अनुसार जहाँ भी गए, प्रसन्नता से धूल उड़ाते चले, मौज मजा करते चले। हम दीवानों की हस्ती कुछ ऐसी ही होती है हम जहाँ भी जाते है अपने ढंग से जीते है अपने ढंग से ही चलते-चलते है । हम पर किसी का कोई असर नहीं होता। कवि कहते है वे अभी-अभी आएँ है और खुशियाँ बाँटी हैं, खुशियाँ लुटाई है और अभी कुछ हुआ कि आँसू भी बनकर बहे निकले।अर्थात् अभी-अभी खुश थे और अभी-अभी दुखी हो गए है तो आँसू भी बह निकले है । कवि मस्त-मौला किस्म के है अपने मन मरजी के मालिक हैं कभी कहीं जाते है तो कभी कहीं के लिए चल पड़ते है तो जहाँ पर पहुँचते है खुशियाँ लुटाते है और वहाँ से आगे निकल चलते है तो लोग कहते है कि अरे, तुम कब आए और कब चले गए पता ही नहीं चला।
प्रसंग – प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी हिंदी की पाठय पुस्तक “वसंत-3” में संकलित कविता “दीवानों की हस्ती” से ली गयी है। इसके कवि “भगवती चरण वर्मा“ है। इस कविता में कवि ने मस्त-मौला और फक्कड़ स्वभाव का वर्णन किया है।
व्याख्या – इसमें कवि कहते हैं कि उनका स्वभाव मस्त-मौला है, वह एक स्थान पर टिके नहीं रहते। वे जहाँ भी जाते हैं, चारों तरफ खुशियाँ फैल जाती है। कवि जहाँ धूल उड़ाते हुए जाते है वही चारों तरफ प्रसन्नता का माहौल हो जाता है। कवि रमता जोगी है। वह मन में उत्पन्न भावों की भाँति कभी ख़ुशी का सन्देश तो कभी आँखों में बहते आँसू की तरह सब जगह फ़ैल जाता है। कवि कहते हैं कि वे इतनी जल्दी आते जाते रहते हैं की लोगों को पता ही नहीं चलता कि वे कब आए और कब चले गए।
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Answer:
correct ans is option C.
Explanation:
क्योंकि उनका पूरा जीवन देश पर समर्पित था।