दीवाने किन बंधनों से मुक्त होकर जा रहे हैं
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कवि संसारिक नहीं हैं वे दीवाने हैं। वह संसार के सभी बंधनों से मुक्त हैं। इसलिए संसार में कोई अपना कोई पराया नहीं है। जिस जीवन को उन्होने खुद चुना है उससे वे प्रसन्न हैं और सदा चलते रहना चाहते हैं।
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kavi sansarik nahi hai ve dewane hai very Sansar ke sabhi bandano se mukt hai issliye sansar me koi apna koi Paraya nahi hai his jevan ko unhone khud chuna hai very us Jivan se khush hai air sadha aage chalte rehna chahte hai
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