देव ने दरबारी चाटुकारिता और दंभपूर्ण वातावरण पर किस प्रकार व्यंग्य किया है?
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देव ने दरबारी चाटुकारिता और दंभपूर्ण वातावरण पर व्यंग्य किया है के कारण राजा ने चापलूसी के सामने खुद को अंधा बना लिया है
Explanation:
"1) दंभपूर्ण के व्यवहार के कारण राजा ने चापलूसी के सामने खुद को अंधा बना लिया है।
2) वह असली कला का मूल्य नहीं जानता। वह नहीं जानता कि चापलूसी से कैसे निपटना है। वह केवल विलासिता में व्यस्त है।
3) इसलिए लेखक कहता है कि राजा भी अपने दरबारियों के साथ अंधा है। गर्व ने उसे गूंगा और बहरा बना दिया है। वह असली व्यक्तियों की बात नहीं सुनना चाहता।"
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Answer:
देव दरबार के दंभपूर्ण वातावरण का वर्णन करते हुए बताते हैं कि दरबार में राजा तथा लोग भोग विलास में लिप्त रहते हैं। दरबारियों के साथ-साथ राजा भी अंधा है, जो कुछ देख नहीं पा रहा है। यही कारण है कि कला तथा सौंदर्य का उन्हें ज्ञान नहीं रह गया है। अहंकार उन पर इतना हावी है कि कोई किसी की बात सुनने या मानने को राज़ी नहीं है।
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