Hindi, asked by siddhartharanaji, 10 months ago

द्वित्व व्यंजन ke udharan

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Answered by Akashrajpal9
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Answer:

अनुस्वार ( ं ) व्यंजन है कहलाता | अनुनासिक ( ँ ) स्वर का नासिक्य विकार कहा जाता |

चलो करें इनका अभ्यास |

काव्यात्मक व्याकरण बोध के ज़रिए व्याकरण हुआ कितना आसान |

******* अनुस्वार *******

*अनुस्वार का प्रयोग

पंचम वर्ण के लिए किया है जाता |

ड. ञ ण न म इसमें है आता

विभिन्न नियमों से बंधा यह होता

बिना उनके सार्थक नहीं है होता

नियम उल्लंघन होता है जहाँ

अशुद्ध शब्द दर्शाता वहाँ ||

नियम

१. अनुस्वार के बाद जब आता वर्ण अनुस्वार उसी वर्ग का पंचम वर्ण

उदाहरण इसका गंगा (गड्.गा) चंचल (चञचल) मुंडन (मुण्डन) शब्द

इन से पता लगता है यह नियम

२. यदि पंचम अक्षर के बाद किसी अन्य वर्ग का कोई वर्ण आए

तो पंचम अक्षर अनुस्वार के रूप में परिवर्तित नहीं हो पाए

जैसे- वाड्.मय, अन्य, उन्मुख आदि सभी शब्द वांमय, अंय, चिंमय, उंमुख के रुप में लिखे न जाएँ

३. ध्यान रखना हमेशा यह बात

संयुक्त वर्ण बनता दो व्यंजनों के साथ

जैसे- त् + र – त्र कहलाता

ज् + ञ – ज्ञ बन जाता

इसीलिए अनुस्वार के बाद संयुक्त वर्ण आने पर

जिन व्यंजनों से बना है संयुक्त वर्ण

( त् + र -त्र )

पहला अक्षर होता जो वर्ण

अनुसार उसी वर्ग का पंचम अक्षर

****इस नियम को दो उदाहरणों से समझाऊँ तुम्हारी मुश्किल दूर भगाऊँ

पहला उदाहरण

मंत्र शब्द में है

म + अनुस्वार + त्र ( त् + र )

त्र होता है संयुक्त अक्षर

बना है जो त् + र से मिलकर अनुस्वार के बाद आया है त्

त् वर्ग का पंचम अक्षर है न्

जिसके उच्चारण के लिए कार्य कर रहा है अनुस्वार ||

दूसरा उदाहरण

संक्रमण शब्द में है

स + अनुस्वार + क्र + म + ण

क्र संयुक्त अक्षर जो बना है क् + र से मिलकर |

अनुस्वार के बाद आया है क्

क् वर्ग का पंचम अक्षर है ड्.

जिसके उच्चारण के लिए कार्य कर रहा है अनुस्वार

Answered by Anonymous
4

Answer:

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