द्वितीय आंग्ल मैसूर युद्ध के क्या कारण थे?
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द्वितीय आंग्ल-मैसूर युद्ध 1780 से 1784 ईस्वी के बीच चला था। इस युद्ध में जहां एक पक्ष अंग्रेज थे, तो दूसरे पक्ष में मैसूर का शासक हैदर अली, हैदराबाद का निजाम और मराठा थे।
इस युद्ध के कारण यह थे...
अंग्रेज प्रथम आंग्ल-मैसूर युद्ध की हार का बदला लेना चाहते थे। अंग्रेजों ने गुंटूर पर अधिकार कर लिया था, जिससे मैसूर का शासक हैदर अली अंग्रेजों से नाराज था। अंग्रेजों ने 1769 ईस्वी की मद्रास संधि की शर्तों का भी पालन नहीं किया और 1770 में हैदर अली को उस समय सहायता नहीं दी, जब मराठों ने उस पर आक्रमण किया। अतः हैदर अली का मन में अंग्रेजों के प्रति क्रोध और प्रतिशोध की भावना जाग उठी। इसलिए हैदर अली ने मराठों और निजाम के साथ 1780 में त्रिपक्षीय संधि कर ली और अंग्रेजो के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया। इसे द्वितीय आंग्ल-मैसूर युद्ध कहते हैं। इस युद्ध के बीच ही हैदर अली की मृत्यु हो गई थी और उसके पुत्र टीपू सुल्तान ने युद्ध युद्ध जारी रखा। अंततः दोनों पक्षों के बीच 1784 में एक संधि के साथ युद्ध का समापन हुआ।
Explanation:
अंग्रेज़ों के इस विश्वासघात से हैदर अली को अत्यधिक क्षोभ हुआ था। उसका क्रोध उस समय और भी बढ़ गया, जब अंग्रेज़ों ने हैदर अली की राज्य सीमाओं के अंतर्गत 'माही' की फ़्राँसीसी बस्तीयों पर आक्रमण कर अधिकार कर लिया। उसने मराठा और निज़ाम के साथ 1780 ई. में 'त्रिपक्षीय सन्धि' कर ली, जिससे 'द्वितीय मैसूर युद्ध' प्रारंभ हो गया।