द्वितीय विश्व युद्ध के बाद भारत अमेरिका संबंधों के विकास की व्याख्या कीजिए
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युद्ध की शुरुआत को आम तौर पर 1 सितम्बर 1939 माना जाता है, जर्मनी के पोलैंड के ऊपर आक्रमण करने और परिणामस्वरूप ब्रिटिश साम्राज्य और राष्ट्रमंडल के अधिकांश देशों और फ्रांस द्वारा जर्मनी पर युद्ध की घोषणा के साथ.[3][4] कई देश इस तारीख से पहले ही युद्धरत थे, अन्य घटनाओं के परिणामस्वरूप और कई जो शुरुआत में शामिल नहीं थे बाद में युद्ध में शामिल हो गए। युद्ध की कुछ मुख्य घटनाएँ हैं मार्को पोलो पुल हादसा (राष्ट्रवादी चीन और जापान के बीच लड़ा गया), ऑपरेशन बारबोसा (जर्मनी द्वारा सोविअत संघ पर आक्रमण) की शुरुआत और पर्ल हार्बर और ब्रिटिश औरडच कालोनियों पर दक्षिण पूर्व एशिया में हमला.
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद भारत अमेरिका संबंधों के विकास की व्याख्या कीजिए
द्वितीय विश्व युद्ध, जिसे द्वितीय विश्व युद्ध भी कहा जाता है, एक वैश्विक युद्ध था जो 1939 से 1945 तक चला था।
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद भारत अमेरिका संबंधों का रेखाचित्र , मित्रता की चाह , कटुता , तनाव , अलगाव और अविश्वास के दायरे में निरंतर चढ़ता-उतरता रहा|
परिस्थितियों के साथ-साथ दोनों देशों में मतभेद के दायरे अधिक गहरे होते गए| अमेरिकी विदेश निति संसार के हर कोने को प्रभावित किया| भारत को विश्वव्यापी रणनीति का आक्रोश सहना पड़ा|
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद भारत अमेरिका संबंधों को ठीक करने का प्रयत्न किया गया था| द्वितीय विश्व युद्ध के बाद भारत अमेरिका संबंधों को सामान्य और मधुर बनाने की इच्छा दोनों ही देशों के नीति-निर्माताओं के मन में होने बाद भी अनेक मुद्दों पर मतभेद उभरकर सामने आए |