Social Sciences, asked by vermamadhu9135, 2 months ago

द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद गिरे परमाणु बम का दुष्परिणाम क्या हुआ​

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Answered by Anonymous
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अगस्त अगस्त, 1945 को हिरोशिमा पर यूरेनियम वाला पहला परमाणु बम गिरा कर ट्रूमैन ने जता दिया कि वे जापान का कैसा विध्वंस चाहते हैं. सुबह आठ बज कर 16 मिनट पर ज़मीन से 600 मीटर ऊपर बम फूटा और 43 सेकंड के भीतर शहर के केंद्रीय हिस्से का 80 फीसदी नेस्तनाबूद हो गया. 10 लाख सेल्शियस तापमान वाला आग का एक ऐसा गोला तेज़ी से फैला, जिसने 10 किलोमीटर के दायरे आई हर चीज को राख कर दिया. शहर के 76,000 घरों में से 70,000 तहस-नहस या क्षतिग्रस्त हो गए. 70,000 से 80,000 लोग तुरंत मर गए. जो लोग नगरकेंद्र में थे उनके शरीर तो भाप बन गए.

Explanation:

अगस्त अगस्त, 1945 को हिरोशिमा पर यूरेनियम वाला पहला परमाणु बम गिरा कर ट्रूमैन ने जता दिया कि वे जापान का कैसा विध्वंस चाहते हैं. सुबह आठ बज कर 16 मिनट पर ज़मीन से 600 मीटर ऊपर बम फूटा और 43 सेकंड के भीतर शहर के केंद्रीय हिस्से का 80 फीसदी नेस्तनाबूद हो गया. 10 लाख सेल्शियस तापमान वाला आग का एक ऐसा गोला तेज़ी से फैला, जिसने 10 किलोमीटर के दायरे आई हर चीज को राख कर दिया. शहर के 76,000 घरों में से 70,000 तहस-नहस या क्षतिग्रस्त हो गए. 70,000 से 80,000 लोग तुरंत मर गए. जो लोग नगरकेंद्र में थे उनके शरीर तो भाप बन गए.

जैसे यह सब पर्याप्त न हो, तीन ही दिन बाद 9 अगस्त को 11 बज कर दो मिनट पर नागासाकी पर दूसरा परमाणु बम गिराया गया. यूरेनियम से भी कहीं अधिक विनाशकारी प्लूटोनियम वाले इस बम ने एक किलोमीटर के दायरे में 80 प्रतिशत मकानों को भस्म कर दिया. अनुमान है कि वहां भी 70,000 से 80,000 हज़ार लोग मरे. दोनों बमों का औचित्य सिद्ध करने के लिए तर्क यह दिया गया कि उनके बिना जापान आत्मसमर्पण में टालमटोल जारी रखता.

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