द्वैध शासन व्यवस्था से क्या समझते हो
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जब दो शासक एक साथ सत्ता का संचालन करते है तो इसे द्वैध शासन (Diarchy) कहते है। प्रायः देखा गया है की शासक अपने पद को आजीवन ग्रहण किया रहता है तथा वो इसे अपने पुत्र या सगे-संबंधियो को सुपुर्द करता है।
'द्वैध शासन' का सिद्धान्त सबसे पहले लियोनेल कर्टिस नामक अंग्रेज ने अपनी पुस्तक "डायर्की" में प्रतिपादित किया था जो बहुत दिनों तक 'राउण्ड टेबिल' का सम्पादक रहा। बाद में यह सिद्धान्त 1919 ई. के 'भारतीय शासन अधिनियम, 1919' में लागू किया गया, जिसके अनुसार प्रान्तों में द्वैध शासन स्थापित हुआ।
उदाहरण के लिए, १७६५ में बंगाल, बिहार और ऊड़ीसा में भू-राजस्व वसूलने का अधिकार ईस्ट इंडिया कम्पनी के पास था जबकि प्रशासन बंगाल के नवाब के नाम से चलता था। अतः सत्ता के दो केन्द्र थे। बंगाल में द्वेध शासन का जनक रोबर्ट क्लाइम को कहा जाता है।
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