देव यज्ञ में अग्नि के कितने रूप हो जाते हैं ?
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¿ देव यज्ञ में अग्नि के कितने रूप हो जाते हैं ?
✎... देव यज्ञ में अग्नि के तीन रूप हो जाते हैं, जो कि इस प्रकार हैं...
पहला रूप ➲ यह अग्नि का वह रूप है, जो जली हुई अग्नि के शांत हो जाने के बाद राख के रूप में हवन कुंड में रह जाता है।
दूसरे रूप ➲ यह अग्नि का वह रूप है, जो हवन कुंड में डाली गई वस्तुओं की सुगंध के रूप में सारे वायुमंडल में फैल जाता है और सभी देवताओं को इसकी शक्ति प्राप्त होती है। सब लोग अपनी अपनी आवश्यकता के अनुसार इसका गुण ग्रहण कर लेते हैं और हजार गुनाा या लाख गुना करके संसार को वापस करते हैं।
तीसरा रूप ➲ यह आहुति के रूप में सबसे सूक्ष्म रूप है। अग्नि का यह रूप यज्ञ करने के वाले के हृदय में जाकर उसके सूक्ष्म शरीर से लिपट जाता है। सूक्ष्म शरीर से तात्पर्य आत्मा से है। जब आत्मा स्थूल शरीर को छोड़ देती है, तो वह अग्नि का यह रूप की आत्मा के साथ चला जाता है।
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