देवनागरी लिपि की वैज्ञानिकता पर प्रकाश डालिए
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लिपि की वैज्ञानिकता की पहली शर्त है कि उसमें भाषा की प्रत्येक ध्वनि के लिए स्वतंत्र वर्ण हो। नागरी में शिरोरेखा का प्रयोग मात्रा अलंकरण के उद्देश्य से नहीं होता बल्कि उसके और भी उद्देश्य हैं। जैसे शिरोरेखा से घ, ध, भ, म आदि वर्णो की अलग पहचान स्थापित होती है।
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देवनागरी" को अक्षरात्मक इसलिए कहा जाता है कि इसके वर्ण वस्तुत: अक्षर (सिलेबिल) हैं अर्थात स्वर भी और व्यंजन भी। "क", "ख" आदि व्यंजन सस्वर हैं- अकारयुक्त हैं। वे केवल ध्वनियाँ नहीं हैं अपितु सस्वर अक्षर हैं। ... इस दृष्टि से विचार करते हुए कहा जा सकता है कि देवनागरी लिपि की वर्णमाला तत्वत: ध्वन्यात्मक है, अक्षरात्मक नहीं।
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