दिये गये गद्यांश पर आधारित निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए -
मगर उदास होना बेकार है। अशोक आज भी उसी मौज में है जिसमें आज
से दो हजार वर्ष पहले था। कहीं भी तो कुछ नही बिगड़ा है, कुछ भी तो
नहीं बदला है। बदली है मनुष्य की मनोवृत्ति । यदि बदले बिना वह आगे
बढ़ सकती है तो शायद वह भी नहीं बदलती, और यदि वह न बदलती और
व्यावसायिक संघर्ष आरम्भ हो जाता, मशीन का रथ घर्घर चल पड़ता।
विज्ञान का सावेग धावन चल निकलता तो बड़ा बुरा होता।
(6) लेखक के अनुसार किसमे परिवर्तन हुआ?
(2)
(ii) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।
(i) मनोवृत्ति और धावन शब्दों का आशय लिखिए।
(iv) अशोक आज भी उसी मौज में क्यों हैं?
(2)
(v) उपर्युक्त गद्यांश के पाठ का शीर्षक और उसके लेखक का नाम
लिखिए।
अथवा
ये शब्द नये मुहावरे एवं नयी रीतियों के प्रयोगों से मक्त भाषा को
(2)
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ii) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए
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गद्यांश के आधार पर प्रश्नों के उत्तर :
- ( 1) लेखक कहते है कि केवल मनुष्य की मनोवृत्ति में बदलाव हुआ है।
- (2) रेखांकित अंश की व्याख्या : लेखक कहते है कि आज से 2000 वर्ष पूर्व से जो परिवर्तन हुए है उनमें सबसे अधिक परिवर्तन मनुष्य की मनोवृत्ति में हुए है। यदि न हुए तो आगे बढ़ना संभव नहीं था।
- (iii) मनोवृत्ति का अर्थ है मन की सोच तथा धावन का अर्थ है धोने की क्रिया।
- (iv)अशोक आज भी उसी मौज में है क्योंकि आज से 2000 साल पहले अशोक का पेड़ जिस स्थिति में खड़ा था आज भी उसी स्थिति में खड़ा है।उस पर समय के परिवर्तन का कोई प्रभाव नहीं पड़ा है।
- (v ) गद्यांश के पाठ का नाम है अशोक के फूल तथा पाठ के लेखक है हजारी प्रसाद द्विवेदी।
#SPJ3
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