.
दीये की प्रथम बार जली लौ के बारे में कवि ने क्या विश्वास प्रकट किया है ? from the poem jalate chalo
Answers
Answer:
Explanation:
मैं स्वयं एक लेखक हुँ , जब भी कभी निराशा महसूस करता हुँ तो कुछ लिखने बैठ जाता हुँ
एक कविता है जो मुझे स्वयं को आगे बढ़ने का हौसला देती है
न हताश हो न निराश करो ख़ुद को
न रुको अपनी बारी का इंतज़ार करो
जब गिरो तो दर्द को सहना सीखो
जब हो ताक़त तब वार करो
जो चढ़े हिमालय की चोटी पर
क्या एक बार में वहाँ पहुँचे होंगे
कई बार क़दम भी फिसले होंगे
इरादे भी दम तोड़े होंगे
किसी ने ये उनसे कहा होगा
चलो कोशिश फिर एक बार करो
जब गिरो तो दर्द को सहना सीखो
जब हो ताक़त तब वार करो
चिड़िया तिनका तिनका तोड़े
छोटे छोटे टुकड़े जोड़े
क्या घर उसका बन पाए
जो थक कर के उड़ना छोड़े
जो ठान लिया जब तक न पा लो
एक क्षण के लिए न आराम करो
जब गिरो तो दर्द को सहना सीखो
जब ताक़त हो तब वार करो
जब जब क़दम तुम्हारे ठिठके
या मन टूटे का आभास करे
एक पल को ठहरो फिर सोचो
हो मानव ,क्यूँ फिर आस छड़ें
क्या लक्ष्य है और क्यूँ वो चाहिए
बंद आँखो से सोचा कई बार करो
जब गिरो तो दर्द को सहना सीखो
जब ताक़त हो तब वार करो
धीमी ही सही पर चाल तो है
संघर्ष कायर का काम नहीं