दक्षिण के पठारी अंचल का निर्माण कैसे हुआ है?किस प्रक्रिया द्वारा पठारी अंचल बना है?
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मालवा, ज्वालामुखी के उद्गार से बना पश्चिमी भारत का एक अंचल है। मध्य प्रदेश के पश्चिमी भाग तथा राजस्थान के दक्षिणी-पूर्वी भाग से गठित यह क्षेत्र प्राचीन काल से ही एक स्वतंत्र राजनीतिक इकाई रहा है। मालवा का अधिकांश भाग चंबल नदी तथा इसकी शाखाओं द्वारा संचित है, पश्चिमी भाग माही नदी द्वारा संचित है। यद्यपि इसकी राजनीतिक सीमाएँ समय-समय पर थोड़ी परिवर्तित होती रही तथापि इस क्षेत्र में अपनी विशिष्ट सभ्यता, संस्कृति एवं भाषा का विकास हुआ है। मालवा के अधिकांश भाग का गठन जिस पठार द्वारा हुआ है उसका नाम भी इसी अंचल के नाम से मालवा का पठार है। इसे प्राचीनकाल में 'मालवा' या 'मालव' के नाम से जाना जाता था। वर्तमान में मध्यप्रदेश प्रांत के पश्चिमी भाग में स्थित है। समुद्र तल से इसकी औसत ऊँचाई ४९६ मी॰ है।
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दक्कन का पठार जिसे विशाल प्रायद्वीपीय पठार के नाम से भी जाना जाता है, भारत का विशालतम पठार है। दक्षिण भारत का मुख्य भू भाग इस ही पठार पर स्थित है। यह पठार त्रिभुजाकार है। इसकी उत्तर की सीमा सतपुड़ा और विन्ध्याचल है पर्वत शृंखला द्वारा और पूर्व और पश्चिम की सीमा क्रमशः पूर्वी घाट एवं पश्चिमी घाट द्वारा निर्धारित होती है। यह पठार भारत के ८ राज्यो में फैला हुआ है।
दक्कन का पठार
दक्कन शब्द संस्कृत के शब्द दक्षिण का अंग्रेजी अपभ्रंश शब्द डक्कन का हिन्दीकरण है। यह भारत भू भाग का सबसे विशाल खंड है! दक्कन का पठार सतपुड़ा, महादेव तथा मैकाल श्रृंखला से लेकर नीलगिरी पर्वत के बीच अवस्थित है । इसकी औसत ऊँचाई 300-900 मी. के बीच है । इसे पुनः तीन पठारों में विभाजित किया गया है । (i) महाराष्ट्र का पठार (काली मृदा), (ii) आंध्रप्रदेश का पठार, जिसे ‘आंध्रा प्लेटो’ कहते हैं । इसे 2 भागों में बाँटते हैं - क. तेलंगाना पठार (लावा पठार) ख. रायलसीमा पठार (आर्कियन चट्टानों की प्रधानता) (iii) कर्नाटक पठार (मैसूर पठार) - इसमें आर्कियन चट्टानों की प्रधानता है । यह धात्विक खनिजो के लिए प्रसिद्ध है ।
दक्कनका पठार कठोर आग्नेय चट्टानों से बना है । इसका विवरण इस प्रकार है -
स्थिति तथा आकार - दक्कन का पठार विंधयाचल पर्वत श्रेणी तथा प्रायद्वीप के दक्षिणी छोर के मध्य विस्त्रत है । इसकी आकृति त्रिभुज के समान है । इसकी सबसे अधिक लम्बाई उत्तर में है।
पहाडियां - दक्कन के पठार की पूर्वी सीमा पर विंधयाचल पर्वत श्रेणी तथा महादेेव पहाडियां , तैमूर की पहाडियांं और मैकाल की पहाडियो का विस्तार है ।
लावा का पठार मे पर्यटक स्थल है - अजंता की पहाड़ी, बाला घाट, हरिश्चंद्र की पहाड़ी
कर्नाटक का पठार - प्रायद्वीपीय पठार मे सबसे ऊचा पठार है तमिलनाडु का पठार - मानसुन की दोनों शाखाओं से वर्षा प्राप्त करता है [दक्षिण पश्चिम मानसुन व उत्तर