Hindi, asked by himmi7827, 8 months ago

Thal thal mai bas tha hai shiv he

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Answered by Anonymous
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  • कवयित्री परमात्मा को साहब मानती है, जो भवसागर से पार करने में समर्थ हैं। वह साहब को पहचानने का यह उपाय बताती है कि मनुष्य को आत्मज्ञानी होना चाहिए। वह अपने विषय में जानकर ही साहब को पहचान सकता है।
  • वाख में ‘रस्सी’ शब्द मनुष्य की साँसों के लिए प्रयुक्त हुआ है। इसके सहारे वह शरीर-रूपी नाव को इस संसार रुपी सागर में खींच रहा है। यह रस्सी अत्यंत कमज़ोर है। यह कब टूट जाए इसका कुछ निश्चित पता नहीं है। अर्थात् मनुष्य की साँसे कब रुक जाए , इसका कुछ पता नहीं है।
  • भाव – कवयित्री ने अपना सारा जीवन सांसारिक वासनाओं में फंसकर व्यर्थ गँवा दिया। जीवन के अंतिम समय में जब उन्होंने पीछे देखा तो ईश्वर को देने के लिए उनके पास कोई सद्कर्म ही नहीं थे।
Answered by hemchandrachandola05
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