दमित समूहों को सुरक्षा के पक्ष में किए गए विभिन्न दावों पर चर्चा कीजिए।
Answers
भारत के स्वतंत्रता के संबंध में हुए राष्ट्रीय आंदोलन के समय डॉ भीमराव अंबेडकर ने दमित यानी दलित जातियों के लिए अलग निर्विचिकाओं की मांग की थी, लेकिन उस समय महात्मा गांधी ने उनकी इस मांग का विरोध किया था। क्योंकि गांधीजी के अनुसार ऐसा करने से दलित समुदाय से समाज से कट जाएगा। संविधान सभा में संविधान निर्माण के समय भी इस विचार पर काफी वाद विवाद हुआ था। संविधान निर्माण की प्रक्रिया में दमित यानी दलित समूहों की सुरक्षा के पक्ष में अनेक तरह के दावे प्रस्तुत किए गए जो कि इस प्रकार थे...
- कुछ सदस्यों के विचार थे कि अस्पृश्यता यानि अछूतों की समस्या को उनके संरक्षण केवल उनके संरक्षण या बचाव द्वारा ही हल नहीं किया जा सकता, बल्कि इसके लिए सामाजिक चेतना जरूरी है। समाज में तथाकथित ऊंची जाति के लोग दलित लोगों से मिलने जुलले से कतराते हैं, उनके साथ खाना नहीं खाते। धार्मिक स्थानों पर उन्हें प्रवेश नहीं है। कई सार्वजनिक जगहों पर उन्हें प्रवेश करने से रोकते हैं, इसके लिए केवल इन जातियों के कानून द्वारा संरक्षण और बचाव से ही नहीं बल्कि सामाजिक चेतना के द्वारा भी लोगों की सोच में बदलाव लाना चाहिए।
- मध्य प्रांत के एक सदस्य के.जे .खंडेलकर करने अपने समाज अपने समाज यानी दलित समाज की स्थिति के बाद वर्णन करते हुए कहा हमें हजारों साल तक दबाया गया, कुचला गया है हमें इतना दबाया और कुचला गया कि हमारा दिमाग व हमारे शरीर ने काम करना बंद कर दिया है और हमारा हृदय भी भावशून्य हो गया है हमें आगे बढ़ने का साहस नहीं रहा है यह हमारी विडंबना है हमारी यही वास्तविक स्थिति है।
- मद्रास से एक सदस्य जे. नागप्पा ने कहा हम सदियों से कष्ट उठाते आ रहे हैं और आप हमें इतना साहस नहीं बचा है कि हम और अधिक कष्ट उठा सकें हमें। अपनी जिम्मेदारियों का एहसास हो गया है कि हम जान गए हैं कि हमें अपनी बात कैसे मनवानी है।
भारत की आजादी के समय जब भारत का विभाजन हो गया और विभाजन के बाद हुई भयानक हिंसा का तांडव देखकर डॉक्टर अंबेडकर ने दलितों के लिए प्रत्यक्ष निर्वाचित का की मांग को छोड़ दिया और अंततः उन्होंने दलितों के कल्याण के लिए निम्नलिखित सुझाव दिए..
- अस्पृश्यता यानी अछूत प्रथा का तुरंत उन्मूलन किया जाए।
- सभी हिंदू मंदिरों में बिना किसी भेदभाव के सभी जातियों विशेषकर दलितों को प्रवेश दिया जाए।
- दलित जातियों के लोगों को विधान मंडलों व सरकारी नौकरियों में आरक्षण दिया जाए।
इन सुझावों के बावजूद बहुत से लोगों का मानना था कि खाली इन सुझावों से ही दलित का उत्थान नहीं हो पाएगा बल्कि समाज में लोगों की सोच बदलने की ज्यादा जरूरत है। फिर भी इन सुझावों का संविधान सभा द्वारा स्वागत किया गया और संविधान में यह सुझाव लागू किए गए।
▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬
“संविधान का निर्माण” पाठ के अन्य सभी प्रश्नों के लिये नीचे दिये लिंक्स पर जायें...
उद्देश्य प्रस्ताव में किन आदर्शों पर ज़ोर दिया गया था?
https://brainly.in/question/15469191
विभिन्न समूह 'अल्पसंख्यक' शब्द को किस तरह परिभाषित कर रहे थे?
https://brainly.in/question/15469166
प्रांतों के लिए ज्यादा शक्तियों के पक्ष में क्या तर्क दिए गए?
https://brainly.in/question/15469162
महात्मा गाँधी को ऐसा क्यों लगता था कि हिंदुस्तानी राष्ट्रीय भाषा होनी चाहिए?
https://brainly.in/question/15469193
वे कौन सी ऐतिहासिक ताकतें थीं जिन्होंने संविधान का स्वरूप तय किया?
https://brainly.in/question/15469169
संविधान सभा के कुछ सदस्यों ने उस समय की राजनीतिक परिस्थिति और एक मजबूत केंद्र सरकार की जरूरत के बीच क्या संबंध देखा ?
https://brainly.in/question/15469194
संविधान सभा ने भाषा के विवाद को हल करने के लिए क्या रास्ता निकाला?
https://brainly.in/question/15469173
मानचित्र कार्य-वर्तमान भारत के राजनीतिक मानचित्र पर यह दिखाइए कि प्रत्येक राज्य में कौन-कौन सी भाषाएँ बोली जाती हैं। इन राज्यों की राजभाषा को चिह्नित कीजिए। इस मानचित्र की तुलना 1950 के दशक के प्रारंभ के मानचित्र से कीजिए। दोनों मानचित्रों में आप क्या अंतर पाते हैं? क्या इन अंतरों से आपको भाषा और राज्यों के आयोजन के संबंधों के बारे में कुछ पता चलता है।
https://brainly.in/question/15469167