औपनिवेशिक शहर में सामने आने वाले नए तरह के सार्वजनिक स्थान कौन से थे? उनके क्या उद्देश्य थे?
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औपनिवेशिक काल में बसाये गए नए औपनिवेशिक शहरों में सामने आने वाले नए तरह के सार्वजनिक स्थान और उनके उद्देश्य इस प्रकार थे...
- नये बसाये गये औपनिवेशिक शहरों जैसे कि मद्रास, बंबई, कलकत्ता आदि में अनेक कल-कारखाने और व्यापारिक केंद्र स्थापित किए गए।
- इस व्यापारिक केंद्रों में व्यापारिक गतिविधियां संचालित की जाती थीं। कारखानों में तैयार माल को रखने के लिये गोदाम बनाये गये। इन कारखानों में कर्मचारी और अधिकारियों को रहने का व्यवस्था भी होती थी।
- इन शहरो के सुनियोजित नक्शे बनवाए गए और इन शहरों की जनसंख्या आदि से संबंधित आंकड़े इकट्ठे किए गए। सरकारी रिपोर्ट प्रकाशित की गईं।
- यह सारे दस्तावेज प्रशासनिक दफ्तरों में होते थे। इन शहरों के रखरखाव के लिए नगरपालिकायें में बनाई गईं जिसका काम शहर में जल की आपूर्ति करना, सड़क निर्माण करना, शहर में जल निकासी के लिये नाली आदि का निर्माण करना, स्वास्थ्य सुविधाएं जैसी सेवाएं उपलब्ध कराना तथा शहर के निवासियों के जन्म और मृत्यु संबंधी रिकॉर्ड रखना था।
- इन शहरों में जलापूर्ति की व्यवस्था करने के लिए भूमिगत पाइपलाइन बिछाईं गईं। शहर की सफाई की चाक-चौबंद व्यवस्था की गई।
- इन शहरों को बंदरगाह के रूप में इस्तेमाल किया गया, यहां जहाजों को लाने और ले जाने तथा विदेशों के लिये माल लाने-ले जाने का काम होता था।
- 1853 के बाद इन शहरों में रेलवे स्टेशन बनाये गये। रेलवे वर्कशॉप और रेलवे कॉलोनी बनाईं। नई रेलवे लाइन के नेटवर्क बिछाये गये। इस तरह ये नये बसाये गये शहर बंदरगाह, सेवा केंद्रों, नगर पालिकाओं तथा रेलवे स्टेशनों जैसे सार्वजनिक स्थानों से परिपूर्ण हो गए थे।
- 19वीं शताब्दी के बीच में इन शहरों को दो भागों में बांटा गया। एक क्षेत्र सिविल लाइन क्षेत्र कहा जाता था जहां पर केवल ब्रिटिश और अन्य यूरोपीय लोगों को रहने का अधिकार था। ये व्हाइट टाइन कहलाते थे। दूसरा क्षेत्र जहां पर केवल भारतीय लोग रहते थे, इसे अश्वेत क्षेत्र यानि ब्लैक टाउन कहा जाता था।
- कुछ औपनिवेशिक शहरों को हिल स्टेशन के रूप में विकसित किया गया जैस शिमला, कुल्लू मनाली, माउंट आबू, दार्जीलिंग आदि। इसका उद्देश्य गर्मियों के दिनों में प्रशासनिक गतिविधियों का संचालन करना तथा उच्च अधिकारियों के लिए स्वास्थ्यवर्धक जलवायु और वातावरण वाला आवास प्रदान करना था।
- नये बसाये गये शहरों में सार्वजनिक यातायात की पर्याप्त व्यवस्था की गयीं, जैसे ट्राम, लोकल ट्रेन, बस, घोड़ागाड़ी आदि। इसके अलावा सार्वजनिक स्थान जैसे कि टाउन हाल, सिनेमा हाल, रंगशालायें, सार्वजनिक पार्क आदि बनाये गये। प्रत्येक क्षेत्र के अन्तर्गत आने वाली विभिन्न सार्वजनिक संस्थायें जैसे कि स्कूल, कालेज, अस्पताल, लाइब्रेरी, सामुदायिक भवन आदि होती थीं। प्रत्येक क्षेत्र के अन्तर्गत शिक्षक, एकाउंटेंट, कर्मचारी, डॉक्टर अन्य जरूरी सुविधाओं से संबंधित व्यक्ति होते थे।
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औपनिवेशिक शहर में सामने आने वाले नए तरह के सार्वजनिक स्थान कौन से थे उनके क्या उद्देश्य थे इसका आंसर