Hindi, asked by ashishverma10133, 6 months ago

फ़ादर कामिल बुल्के एक सन्यासी थे, परन्तु पारंपरिक अर्थ में हम उन्हें सन्यासी क्यों नहीं कह सकते? ​

Answers

Answered by avinashsingh2411
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Answer:

इस कथन के द्वारा लेखक यही कहना चाहता है कि फादर बुल्के के मन में संन्यास लेने की भावना जब आई तभी उन्होंने संकल्प कर लिया कि उन्हें संन्यासी बनना है। यही वजह है कि उन्होंने अपने पढ़ाई को बीच बीच में ही छोड़कर सशर्त संन्यास ले लिया, हालाकि उनका मन पूर्णतया संन्यासी नहीं बन सका

Answered by Chaitanya1696
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हमें इस प्रश्न का उत्तर देने की आवश्यकता है 'पिता कामिल बुल्के एक संन्यासी थे, लेकिन हम उन्हें पारंप रिक अर्थों में संन्यासी क्यों नहीं कह सकते?'  

  • हम 'फादर कामिल बुल्के को सन्यासी पारंपरिक अर्थ  के अनुसार नहीं कह सकते,
  • क्योंकि भले ही वह संन्यासी का कार्य किया भी तो वह एक पारंपरिक सन्यासी नहीं था।
  • फादर बल्के ने महसूस किया कि पढ़े-लिखे लोगों सहित कई लोगों ने हिंदी के महत्व को नहीं पहचाना i
  • उन्होंने लोगों को हिंदी भाषा के महत्व को समझाने की कोशिश की।
  • उन्होंने एक शब्दकोश भी लिखा था जिसे वे अपनी मृत्यु तक सुधारते रहे।
  • लोग हमेशा उनकी शिक्षाओं के महत्व को पहचानेंगे लेकिन पारंपरिक अर्थों में वे संन्यासी नहीं थे I

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