फ़ादर काममल बुल्के के दहदं ी के प्रनत योगदान का वर्णन कीम्जए.
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O फादर कामिल बुल्के के हिंदी के प्रति योगदान का वर्णन कीजिये।
► फादर कामिल बुल्के ने हिंदी भाषा को समृद्ध बनाने के लिए बहुत उल्लेखनीय कार्य किया। उन्हें हिंदी भाषा से बेहद प्रेम था। विदेशी होने के बावजूद उन्हें हिंदी भाषा में महारत हासिल थी। वह जेवियर कॉलेज रांची में हिंदी और संस्कृत विभाग के अध्यक्ष रहे थे। उन्होंने अंग्रेजी-हिंदी शब्द कोष तैयार किया और उन्होंने हिंदी भाषा में बाइबिल का अनुवाद भी किया। उनका हिंदी से प्रेम बेहद घनिष्ठ था। वह हिंदी भाषा को भारत की राष्ट्रभाषा के रूप में देखना चाहते थे, लेकिन भारत के लोगों का हिंदी के प्रति उपेक्षा वाला भाव देखकर उन्हें बड़ा दुख होता था और कभी-कभी इस बात पर वह झुंझला भी जाते थे कि इस देश के लोग अपनी मातृभाषा का सम्मान नहीं करते। उन्होंने अपने पूरे जीवन पर्यंत हिंदी भाषा के उत्थान के लिए यथासंभव प्रयास किया।
हिंदी भाषा के प्रति अपने गहन प्रेम के कारण उन्होंने परंपरा से अलग हटकर हिंदी भाषा में शोध पत्र भी लिखा, जबकि उस समय अंग्रेजी भाषा का प्रभुत्व होने के कारण सारे शोध पत्र अंग्रेजी भाषा में ही लिखे जाते थे, लेकिन उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अपने शोध पत्र को हिंदी में लिखने के लिए विद्यालय प्रशासन से विशिष्ट अनुमति मांग कर हिंदी भाषा में शोध पत्र लिखा। उसके बाद हिंदी भाषा में शोध पत्र लिखने की एक परंपरा चल उठी।
इस तरह एकव विदेशी और गैर हिंदी भाषी होते हुए भी फादर बुल्के ने हिंदी के भाषा के उत्थान के लिये भरपूर योगदान दिया।
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