'दरसन तृपित न आजु लगि पेम पिआसे नैन' का क्या अर्थ है ?
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क. आज भी मैं राम को देखता
ख. मेरे मन में राम बसे है
ग. मेरी आँखे राम के दर्शनों के लिए प्यासी
मेरे अंदर आज भी प्रेम है
घ.
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Meri Aankhen Ram Ke Darshan ke liye Pyasi hai
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