‘ दया धर्म का मूल है ‘
संकेत बिंदु : धर्म का मूल, अन्य धर्मों में दया, परोपकार, सामाजिक कर्तव्य 100-150 शब्दों में एक अनुच्छेद लिखिए
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अर्थात् धर्म हमें दया करना सिखाता है और अभिमान की जड़ में पाप-भाव पलता है। अतः हमें अपने शरीर में प्राण रहने तक दया-भाव को त्यागना नहीं चाहिए। ... हर धर्म सिखाता है कि जीव पर दया-भाव रखो और कष्ट में फँसे इंसान की सहायता करो। परोपकार की भावना ही सबसे बड़ी मनुष्यता है।
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