English, asked by prashaddinesh502, 9 months ago

the adventures toto story in hindi​

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दादाजी ने टोटो को एक तांगे वाले से पाँच रूपये में पोल लिया था । तांगे वाला उस छोटे से बन्दर को एक नाद के साथ बांध देता था, और बन्दर वहाँ बहुत विचित्र लगता था कि दादा जी ने निश्चय किया कि वह उसे अपने निजी चिडियाघर में शामिल करेंगे ।

टीटो बहुत सुन्दर बन्दर था । उसकी चमकीली आँखें गहरी भवों के नीचे शरारत से चमकती थी । उसके दाँत जोकि सफेद थे एंग्लो इण्डियन अधेड़ उम्र की स्त्रियों की उन्हें देख कर डर के मारे जान निकल जाती थी । परन्तु उसके हाथ सूखे-सूखे लगते थे जैसे उन्हें सूरज की धूप में सुखाया हो । फिर भी उनकी अंगुलियाँ फुर्तीली व शरारती थी और उसकी पूँछ उसके सौन्दर्य को बढाती थी , तीसरे हाथ का भी काम करती थी । दादा जी को विश्वास हैं कि पूंछ किसी के भी सौन्दर्य को बढाती है । वह किसी भी टहनी से अपनी पूँछ के सहारे लटक सकता था और वह जहाँ उसके हाथ नहीं पहुँच सकते थे वहाँ से अपनी पूँछ द्वारा वह भोजन प्राप्त कर सकता था ।दादा जी जब कभी कोई नया पक्षी घर लाते थे तो दादी सदा हंगामा करती । इसलिए यह निश्चय किया गया कि जब तक दादी जी विशेष रूप से खुश नहीं होती तब तक टोटो को उनसे छिपाये रखा जाए । दादाजी और मैंने उसे एक खूँटी के साथ अपने कमरे की दीवार में खुलने वाली कोठरी के पास पक्की तरह बांध दिया ।

कुछ घंटों के पश्चात् जब दादाजी और में टोटो को खोलने आये तो हमने खूँटी को उखड़ा पाया और दीवार पर लगे सजावटी कागज को फाड़कर दीवार को नंगा कर दिया था । ब्लेजर जो मेरे स्कूल का था वहां लटका हुआ था,उसे टोटो ने चीथड़े कर दिया था । मैँ हैरान था कि दादाजी न जाने क्या कहेंगे परन्तु दादाजी ने कहा, चिंता की कोई बात नहीं,वह टोटो के इस काम से प्रसन्न प्रतीत होते थे ।

दादाजी ने कहा, ‘ ‘टोटो होशियार है, यदि उसे समय मिलता तो यह आपका ब्लेजर के टुकडों को बाँधकर रस्सी बनाकर खिड़की के रास्ते बचकर निकल जाता ।”

हिन्दी अनुवाद – टोटो की उपस्थिति घर में छिपा कर रखी गई । टोटो को अब नौकरों के कमरों में एक बड़े पिंजरे में रखा गया । दादाजी के कई पालतू पशु जैसे एक कछुआ, एक जोडी खरगोश, एक पालतू गिलहरी और मेरी बकरी भी कुछ देरतक मिलजुल कर रहते थे । परन्तु बन्दर ने अपने साथियों को रात भर सोने न दिया था । इसलिए जब दादाजी ने अगले दिन पेंशन लेने देहरादून से सहारनपुर जाना था, टोटो को भी साथ ले जाने का निश्चय किया ।

संयोगवश मैं दादाजी के साथ न जा सका उन्होंने मुझे बाद में सब बता दिया । एक काले टाट के थैले में टोटो को रखा गया जिसके नीचे कुछ घास भरी थी । जब थैला बन्द कर दिया तो टोटो को बाहर निकलने का रास्ता न था । वह टाट को नहीं फाड़ सकता था । उसके प्रयत्नों का नतीजा केवल इतना था कि प्लेटफार्म पर लुढ़कता रहा था या कभी – कभी हवा में उछल पड़ता था । देहरादून रेलवे स्टेशन पर देखने वालों की भीड़ का आकर्षण बना हुआ था ।

टोटो सहारनपुर पहुँचने तक थैले में ही रहा, परन्तु दादा जी ने बाहर निकलते समय अपना टिकट कलेक्टर को दिया . टोटो ने थैले से सिर निकाला और उसे अपने दाँत दिखाए । बेचारा व्यक्ति पीछे हुआ वह डर गया परन्तु बोला कि आप के पास कुत्ता है । आप को नियमानुसार इसका भाड़ा देना होगा ।

हिन्दी अनुवाद – दादा जी ने टोटो को बस्ते में से बाहर निकाला और यह सिद्ध करने का यत्न किया कि वह कुंत्ता नहीं अपितु बन्दर है और उसका भाड़ा नहीं लगना चाहिए, परन्तु टिकट क्लेक्टर ने उनकी बात न सुनी और किराये के रूप में तीन रूपये देने पड़े ।

तब दादा जी ने बदला चुकाने के लिए अपनी जेब से कछुआ निकाला और कहा कि क्या मुझे इसका भी भाड़ा देना चाहिए आप सभी जानवरों का किराया लेते है ।

टिकट चैकर ने कछुएँ को अगुँली से दबाकर ध्यान से देखा और कहा कि नहीं इसका कोई भाड़ा नहीं इसका कोई भाड़ा नहीं है , यह कुंत्ता नहीं है ।’

जब दादी ने टीटो का पूर्ण रूप से स्वीकार कर लिया तो उसे अस्तबल में आरामदायक स्थान मिला, जहाँ उसका साथी परिवार का गधा नाना था । अस्तबल में पहली रात दादाजी टोटो को देखने गये कि वह वहाँ कैसे रह रहा है । यह देखकर उन्हें बहुत हैरानी हुई कि नाना अपनी रस्सी को खीँच रहा था और धास के एक ढेर से न जाने क्यों अपना सिर दूर हटाने का प्रयत्न कर रहा था ।

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