धूल के बिना किसी शिशु की कल्पना क्यों नहीं की जा सकती?
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Answer:धूल के बिना शिशु की कल्पना इसलिए नहीं की जा सकती है क्योंकि शिशु चलते, खेलते, उठते-बैठते जब गिरता है तो उसके शरीर पर धूल लगना ही है। इस धूल धूसरित शिशु का सौंदर्य और भी बढ़ जाता है। धूल उसके सौंदर्य को बढ़ाती है।
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धूल के बिना शिशु की कल्पना इसलिए नहीं की जा सकती है क्योंकि शिशु चलते, खेलते, उठते-बैठते जब गिरता है तो उसके शरीर पर धूल लगना ही है। इस धूल धूसरित शिशु का सौंदर्य और भी बढ़ जाता है।
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