धार्मिक कट्टरता और भेदभाव को कबीर दास जी ने क्या कहा है
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जब मनुष्य के मन से धार्मिक भेदभाव मिट गए तो उसकी धर्मांधता और धार्मिक संकीर्णता समाप्त हो गई। अब उसके लिए राम-रहीम और काबा-काशी में कोई अंतर नहीं रह गया। वह अब ईश्वर का सच्चा भक्त बन गया। दोहे में मोट चून धार्मिक संकीर्णताओं और धर्मांधता से ग्रस्त मनुष्य को कहा गया है।
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