ध्रृपद और ताल को परिभाषित कीजिए ।
Answers
Answered by
10
Answer:
चूँकि साहित्यिक पक्ष या पदों की रचना पूर्णतया स्वर तथा ताल पर स्थायी रूप से स्थित थी, अतः इस विधा को ध्रुवपद कहा गया। बाद में ध्रुवपद में कुछ परिवर्तन हुए और शास्त्रीय संगीत की एक प्रमुख विधा के रूप में 'ध्रुपद' प्रचलित हो गया। 16वीं शताब्दी में ग्वालियर के राजा मानसिंह तोमर ने इस विधा को प्रोत्साहन दिया।
Similar questions