ध्रुवस्वामिनी की कथावस्तु मे इतिहास और कल्पना का मणिकांचन संयोग मिलता है
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‘ध्रुवस्वामिनी’ नाटक की कथावस्तु में इतिहास और कल्पना का मणिकांचन संयोग मिलता है। यह नाटक जयशंकर प्रसाद द्वारा रचित एक ऐतिहासिक नाटक है, जिसमें लेखक ने ऐतिहासिकता और कल्पनाशीलता का सुंदर प्रयोग किया है। इस नाटक में लेखक ने इतिहास और कल्पना का सुंदर समन्वय प्रस्तुत किया है और इतिहास के गौरवशाली वैभव के चित्रण के साथ-साथ वर्तमान को भी जोड़ें रखा है।
ध्रुवस्वामिनी नाटक स्त्री मन की व्यथा को प्रकट करता है, जिसमें स्त्री को एक हाड़-मांस का शरीर ना समझ कर मात्र वस्तु समझा जाता है और पुरुष प्रधान समाज उसका अपनी सुविधा अनुसार उपयोग करता है। इस नाटक के तीन अंक हैं। लेखक ने इस नाटक में मानव जीवन के शाश्वत स्वरूप को तो प्रकट किया ही है, साथ ही वर्तमान के लिए एक आशा की किरण भी जगाई है और राष्ट्रीयता का संदेश भी दिया है। उन्होंने अपने इस नाटक में इतिहास के साथ कल्पना का संयोजन कर अतीत और वर्तमान दोनों को जोड़ने का प्रयत्न किया है। यह नाटक जयशंकर प्रसाद की सर्वश्रेष्ठ कृतियों में शुमार होता है।
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निम्नलिखित कथनों में से कोई एक कथन सही है, उसे पहचान कर लिखिए:
डॉ० राजेन्द्र प्रसाद एक कवि के रूप में प्रसिद्ध हैं।
'क्या लिखू?' के लेखक रामधारी सिंह 'दिनकर' हैं।
'ध्रुवस्वामिनी' जयशंकर प्रसाद की रचना है।
मुंशी प्रेमचन्द एक समालोचक के रूप में प्रसिद्ध हैं।
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