धातु शिल्प के साथ विभिन्न संस्कृति का क्या जोड़ा है
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धातु शिल्प का कार्य अत्यंत प्राचीन काल से झारखण्ड क्षेत्र के विभिन्न हिस्सों में असुर, बिरहोर, आदि जनजातियों द्वारा होता आ रहा है। इस संदर्भ में अलुवारा (प्रखंड चंदन कियारी, जिला बोकारो) से पुरातात्विक सर्वक्षण के दौरान पाए गए जैन तीर्थकर की अष्टधातु मुनियों की चर्चा की जा सकती है, जो वर्तमान में पटना संग्रहालय में संग्रहित है। स्थानीय तौर पर बाणद्रग्रॉ तथा घरेलू इस्तेमाल के बर्तनों का निर्माण तो काफी पहले से होता आ रहा है किंतु विशेष चर्चा का विषय धोकड़ा शैली में बने पात्र है जो पारंपरिक तौर पर तो मापतोल की एक जनजाति इकाई 'पाइला' के रूप में बनाए जाते थे, पर अब अनेक उपयोगी एवं सजावट की वस्तुओं यथा दीपदान अथवा चिडिया की आकृति आदि का निर्माण भी किया जा रहा है।
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