धोथे बादर क्वार के, ज्यों रहीम घहरात।
धनी
पुरुष
निर्धन भए, करें पाछिली बात।।4।।
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थोथे बादर क्वार के, ज्यों ‘रहीम’ घहरात । धनी पुरुष निर्धन भये, करैं पाछिली बात ॥ अर्थ क्वार मास में पानी से ख़ाली बादल जिस प्रकार गरजते हैं, उसी प्रकार धनी मनुष्य जब निर्धन हो जाता है, तो अपनी बातों का बारबार बखान करता है
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