ध्वनि प्रदूषण को कैसे सीमित किया जा सकता है?
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ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए हम तीन कदम उठा सकते हैं- रोकथाम, उपचार और लोगो में इसे रोकने के लिए जागरुकता लाना।
निवारक उपाय (Preventive Measures)
रोकथाम के यह तरीके सभी व्यक्तियों और व्यापारिक संगठनों द्वारा काफी आसानी से अपनाये जा सकते है और इन उपायों द्वारा पर्यावरण पर होने वाले हानिकारक प्रभावों को रोका जा सकता है। वास्तम में हम सबको ध्वनि प्रदूषण को रोकने के लिए मिलकर प्रयास करने की आवश्यकता है।
मोटर इंजन में अपग्रेडेशन करने के साथ ही दूसरे तेज आवाज वाली मशीनों के कारण ऐसे उद्योगो का निर्माण रिहायशी क्षेत्रों तथा कस्बों से दूर किया जाना चाहिए और इसके साथ ही इन जगहों पर कार्य करने वाले लोगों को उनकी सुरक्षा के लिए उन्हें इयरप्लग जैसी सुरक्षा वाली वस्तुएं मुहैया करवायी जानी चाहिए और इसके साथ ही वाहनों के साइलेंसर की जांच, तेज आवाज वाले बैंडो पर प्रतिबंध तथा लाउडस्पीकर जैसे चीजों पर प्रतिबंध लगाये जाने की भी आवश्यकता है।
अधिक आवाज करने वाले वाहनों के रिहायशी इलाको में प्रवेश को प्रतिबंधित करना चाहिए। मोटर इंजन और दूसरे मशीनों का इस प्रकार से निर्माण करना चाहिए कि वह कम से कम आवाज करें। इसके साथ ही रेल के पटरी पर चलने से होने वाले ध्वनि प्रदूषण को साउंड प्रूफ रेल ट्रैक बनाकर रोका जा सकता है।
ऐसे कई तरीके हैं, जिन्हें अपनाकर ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सकता है। जैसे कि साउंड बैरियर का निर्माण करके, वाहनों के गति को नियंत्रित करके, सड़को के तल में परिवर्तन करके, ट्रैफिक कंट्रोल तरीकों के द्वारा ब्रेकिंग और असेलरेशन को नियंत्रित करके और टायर के डिजाइन में परिवर्तन करके ध्वनि प्रदूषण को रोकने में काफी महत्वपूर्ण सफलता प्राप्त की जा सकती है।
इन रणनितियों को लागू करने में कम्प्यूटर माडल काफी सहायक हो सकता है। जिसके सहायता से रोड पर होने वाले ध्वनि को नियंत्रित किया जा सके और ट्रैफिक व्यवस्था को नियंत्रित करते हुए ध्वनि प्रदूषण को रोका जा सके। यदि इसकी योजना कार्यों के शुरुआत में ही बना ली जाये तो उत्पादन के खर्च को काफी कम किया जा सकता है।