Hindi, asked by mishrasagar377, 3 months ago

ध्वनित दिशाएं उदार से क्या आशय है​

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Answered by kajalkumari97791
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Answer:

ऐतिहासिक ध्वनि विज्ञान के किसी भाषा की विभिन्न ध्वनियों के विकास का विभिन्न कालों में अध्ययन किया जाता है। उदाहरणार्थ हिंदी के संबंध में देखेंगे कि वह हिंदी में किन-किन स्रोतों (संस्कृत, प्राकृति, अपभ्रंश, फारसी, अरबी, तुर्की, पुर्तगाली, अंग्रेजी आदि) से आया है, साथ ही यह भी देखेंगे कि हिंदी में विभिन्न कालों में इसका विकास किन-किन रूपों में हुआ है। अक्षर, सुर, बलाघात आदि का इतिहास भी इसी प्रकार देखा जाता है। ऐतिहासिक ध्वनि विज्ञान ध्वनियों के विकास का अध्ययन है। यहाँ ध्वनि परिवर्तन के कारण एवं उसकी दिशाओं का अध्ययन प्रस्तुत है।

ध्वनि परिवर्तन के कारण

सृष्टि की प्रत्येक वस्तु के समान ही भाषा की ध्वनियों में भी सतत परिवर्तन होता रहता है। इस परिवर्तन के कारण ही भाषा का जीवंत रूप सामने आता है। ध्वनि-परिवर्तन या विकास जीवंत भाषा का प्रमुख लक्षण है। ध्वनि-परिवर्तन के कारण को दो वर्गों में विभक्त कर सकते हैं- (क) बाह्य कारण, (ख) आभ्यंतर कारण।

बाह्य कारण

ये कारण बाहर से ध्वनि को प्रभावित करते है। ध्वनि-परिवर्तन के बाह्य कारण मुख्यत: हैं-

व्यक्तिगत भिन्नता-प्रत्येक व्यक्ति की वा¯गद्रिय तथा श्रवणेंद्रिय अन्य व्यक्ति से भिन्न होती हैं। एक व्यक्ति किसी ध्वनि को जिस प्रकार बोलता है, दूसरा व्यक्ति पूर्ण प्रयत्न करने पर भी वैसा नहीं बोल सकता है। वाग्यंत्र की भिन्नता के ही कारण किन्हीं दो व्यक्तियों के उच्चारण में पूर्ण समानता नहीं हो सकती है। यह भिन्नता कभी सामान्य होती है, तो कभी रेखांकन योग्य होती है यथा-अंग्रेज ‘तुम’ को टुम कहता है। हम बच्चे के मुख से रोटी को ‘लोटी’ और हाथी को ‘आती’ सुनते ही हैं। इस प्रकार वा¯गद्रिय भिन्नता और श्रवण की अपूर्णता से अनेक ध्वनियों में परिवर्तन हो जाता है।

भौगोलिक कारण-ध्वनि-उच्चारण पर भौगोलिक परिस्थिति का विशेष प्रभाव पड़ता है। एक भाषा की विभिन्न ध्वनियों का उच्चारण भिन्न भौगोलिक वातावरण के दूसरे भाषा-भाषियों के द्वारा संभव नहीं है। शीत-प्रधन वातावरण के व्यक्ति प्राय: बातचीत में मुख सीमित खोलते हैं। इस कारण ऐसे वातावरण के व्यक्ति दंत्य ध्वनियों का स्पष्ट उच्चारण नहीं कर पाते हैं। वे प्राय: त, थ, द को क्रमश: ट, ठ, ड बोलते हैं। आवागमन के साधन से रहित या ऐसे शिथिल साधन वाले भौगोलिक भाग की भाषाओं में ध्वनि-परिवर्तन अत्यंत मंद होता है।, जबकि उर्वर, समतल, आवागमन से मुक्त भू-भाग की भाषाओं की ध्वनियों में सतत-तीव्र गति से परिवर्तन होता रहता है।

सामाजिक परिस्थिति-सामाजिक उन्नति तथा अवनति का भाषा पर विशेष प्रभाव पड़ता हैं सामाजिक उन्नति पर भाषा का शुद्ध रूप प्रयुक्त होता है, तो अवनति पर उसके परिवर्तित रूप का ही अधिक प्रयोग होना स्वाभाविक है। इस प्रकार सामाजिक स्थिति के कारण शब्दों में ध्वनि-परिवर्तन की प्रक्रिया चलती रहती है। यजमान > जजमान, फरोहित > उपरेहित, वियरिग > बैंरग, वाराणसी > बनारस।

अन्य भाषाओं का प्रभाव-एक भाषा-क्षेत्र में जब किसी अन्य भाषा का प्रयोग होने लगता है, तो उनकी ध्वनियाँ वहाँ की भाषा को प्रभावित करती हैं। मुसलमानों के भारत आगमन के पश्चात अरबी तथा फारसी भाषा का यहाँ प्रयोग होने लगा है। अरबी-फारसी के प्रभाव से हिंदी में क, ख़्, ग़, ज़्, फ आदि ध्वनियाँ बोली तथा लिखी जाने लगी हैं। अंग्रेजी के प्रभाव से हिंदी में ऑ ध्वनि का प्रयोग होने लग गया हैयथा-डॉक्टर, बॉल आदि।

आभ्यंतर कारण

ध्वनि-परिवर्तन के संबंध में वक्ता और श्रोता से संबंधित कारणों को आभ्यंतर या आंतरिक कारण कहते हैं। इस वर्ग के कुछ प्रमुख कारण इस प्रकार हैं-

मुखसुख-इसे प्रयत्नलाघव भी कहते हैं। यह कारण उच्चारण सुविध से जुड़ा है। मनुष्य अल्प श्रम से अधिक से अधिक कार्य संपन्न करना चाहता है। इसी प्रवृत्ति के अनुसार मनुष्य कम से कम उच्चारण से स्पष्ट तथा प्रभावशाली अभिव्यक्ति करना चाहता है। ऐसे में उच्चारण-सुविध के अनुसार अनेक क्लिष्ट ध्वनियाँ सरल रूप में परिवर्तित हो जाती है। इस प्रयत्न में अनेक प्रकार के ध्वनि-परिवर्तन होते हैं। मुख-सुख ध्वनि-परिवर्तन का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण कारण है। इसमें कभी आगम होता है, तो कभी लोप। समीकरण विषमीकरण, घोषीकरण तथा अघोषीकरण आदि परिवर्तन प्राय: मुख-मुख के कारण

Answered by bhatiamona
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ध्वनित दिशाएं उदार से क्या आशय है​?

ध्वनित दिशाएं उदार होने से तात्पर्य यह है कि चारों तरफ से दसों दिशाएं उदार होकर भारत माता का गुणगान कर रही हैं, अर्थात सभी दिशाये भारत माता का गुणगान करने में ध्वनित हो गयी हैं, वह उदार होकर निःसंकोच भाव से भारत माता का गुणगान कर रही हैं।

व्याख्या :

'भारत वंदना' कविता में कवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला में मातृभूमि भारत के प्रति अपनी श्रद्धा और भक्ति भाव का प्रदर्शन किया है। वह भारत माता का गुणगान करते हुए कहते हैं कि यह भारत भूमि धन्य है, जिसमें हम सब ने जन्म लिया। हमारा जीवन भी धन्य है।

सभी देशवासी चारों तरफ से भारत माता की गुणों का बखान कर रहे हैं। दसों दिशाएं उदार मुख होकर भारत माता का गुणगान करने में लगी हैं। भारत माता का गुणगान करने में सभी दिशाएं ध्वनित हो गई हैं, और उदार होकर गुणगान कर रही हैं।

#SPJ3

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