धरिी कय आाँगन महके कमणज्ञयन -विज्ञयन से। ऐसी सररिय करो प्रियहहि खेले खेि सब धयन से।।
अभिलयषयएाँ तनिमुसकयएाँआशयओांकीछयाँिमें, पैरों की गति बाँधी हुई हो विश्ियसों की रयह में ।
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